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भूत झोलकिया मिर्च उगाएं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं

हमारा किचन मिर्च के बिना अधूरा माना जाता है। या यूं कहें तो मिर्ची हमारे व्यंजनों के आधार की धड़कन है। कुछ लोग अधिक मिर्च खाना पसंद करते हैं तो कुछ लोग कम मिर्ची से ही काम चला लेते हैं। कई लोग मिर्च का प्रयोग खाने में रंग लाने के लिए करते हैं तो कुछ लोगों को तीखेपन के बिना खाना बेस्‍वाद लगता है।

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थाई एप्पल बेर लगाएं 15 से 20 साल बंपर मुनाफा कमाएं

धान उत्पादक देशों में भारत भले ही पूरी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। लेकिन प्रति हेक्टेयर धान की फसल के औसत उत्पादन में बहुत पीछे है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि देश में परंपरागत तरीके से ही धान की खेती की जा रही है। और तो और धान की फसल में कीट लगने से फसल को भारी नुकसान हो

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9 जुलाई को सम्मानित होंगे डॉ. राजाराम त्रिपाठी

धान उत्पादक देशों में भारत भले ही पूरी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। लेकिन प्रति हेक्टेयर धान की फसल के औसत उत्पादन में बहुत पीछे है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि देश में परंपरागत तरीके से ही धान की खेती की जा रही है। और तो और धान की फसल में कीट लगने से फसल को भारी नुकसान हो

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धान को रोग और कीटों से बचाने का है ये सरल उपाय

धान उत्पादक देशों में भारत भले ही पूरी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। लेकिन प्रति हेक्टेयर धान की फसल के औसत उत्पादन में बहुत पीछे है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि देश में परंपरागत तरीके से ही धान की खेती की जा रही है। और तो और धान की फसल में कीट लगने से फसल को भारी नुकसान हो

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मछली के बीज उत्पादन कर लाखों कमाएं, जानिए कैसे?

देश के अधिकांश ग्रामीण और आदिवासी पिछड़े इलाकों में मछली बीजोत्पादन की व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण मछली पालकों को मछली पालन के लिए काफी दूर-दराज से मछली के बीजों को खरीद कर लाना पड़ता है, इसकी वजह से मछली बीज के खरीदारी में लागत ज्यादा आती है,

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खेती से करोड़पति बनना है तो महोगनी लगाइए

महोगनी के पेड़ व्यापारिक दृष्टिकोण से बेहतर होते हैं। इसके पत्ती, फूल, बीज, खाल और लकड़ी बाजार में अच्छी कीमतों पर बिकते हैं। इसकी लकड़ी काफी मजबूत और लंबे समय तक टिकने वाली होती है। इसका उपयोग जहाज़, फ़र्नीचर, प्लाईवुड और सज़ावट की चीजें बनाने में किया जाता है।

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सोयाबीन की खेती में बंपर कमाई का मौका, इन तरीकों को अपनाएं

किसानों ने खरीफ की फसलों की बुवाई शुरू कर दी है। इसी बीच सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों ने भी अपने खेतों की तैयारी करना शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि सोयाबीन उत्पादन में मध्य प्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है। कुछ सालों पहले तक सोयाबीन की फसल को काला सोना की संज्ञा दी जाती

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IARI की ओर से बुलंदशहर में किसान गोष्ठी का आयोजन

बुलंदशहर के ग्राम-नेकपुर, नार-मोहम्मदपुर, सिरियाल में मेरा गांव-मेरा गौरव कार्यक्रम के अंतर्गत 29 मई 2022 को एक किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली और जैव उर्जा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी नेकपुर के संयुक्त प्रयास से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

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भारत में कैसी हो शिक्षा व्यवस्था?

दोस्तों जैसा कि हम सब जानते हैं कि पूरी दुनिया में शिक्षा का लक्ष्य यही है कि पूर्वजों द्वारा संचित ज्ञान राशि को नई पीढ़ी को सौंप दिया जाए। इसके लिए सबसे पहले ज्ञान के विविध रूपों की स्मृति तथा बोध और संभावनाओं को नई पीढ़ी के मन बुद्धि और चित्त पर अंकित कराना होता है और उसके लिए अभ्यास प्रशिक्षण और कल्पना से भरपूर सृजनशीलता को जागृत

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बायोचार तकनीक से करें फसल अवशेष यानि पराली का समाधान

देश में वायु प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है और इसका जिम्मेदार किसानों को भी माना जा रहा है। दरअसल किसानों के सिर पर फसल अवशेष यानि पराली जलाने की वजह से वायु प्रदूषण बढ़ाने का दोष मढ़ा जाता है। हालांकि सच तो ये है कि किसान जानकारी के अभाव में ऐसा करते हैं।

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केले की खेती से लाखों का मुनाफा कमाएं

बदलते परिवेश में देश के किसानों का झुकाव खेती की तरफ ज्यादा हो रहा है। खेती में अधिक पैसे लागने के बावजूद कई किसानों को अच्छा मुनाफा नहीं मिल पाता है। इसलिए खेतीबाड़ी में उन्नत तकनीक अपनाना समय की मांग है। लिहाजा किसान अब गेहूं, मक्का की पारंपरिक खेती को छोड़कर नकदी फसलों की ओर

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पंचायती व्यवस्था के तहत आपदा प्रबंधन योजना

केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन योजना का विकास पंचायतों के बीच जमीनी स्तर पर आपदा के वक्त स्थिति को संभालने के लिए विकसित किया है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन उपायों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए।

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घरेलू नुस्खे से बढ़ाएं फसल की बंपर पैदावार

फसलों पर कीट-पतंगों का लगना आम बात है और इन कीटों से छुटकारा पाने के लिए ज्यादातर किसान रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। लेकिन जिस तरह से पूरी दुनिया में रासायनिक उर्रवरकों और पेस्टीसाइड का अंधाधुध प्रयोग हो रहा है उससे न केवल हमारी सेहत बल्कि खेती दोनों बीमार हो रही हैं।

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मोती की खेती करें और कमाएं बेहतर मुनाफा

आपने समुद्र और तालाबों में सीप की खेती के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन रेत के तपते धोंरो में सीप की खेती, भगवान को ढूढने से कम नही है। इन सभी कठिन परिस्थियों के बावजूद राजस्थान में सीकर जिले के एक किसान पिछले कुछ सालों से मोती की खेती कर रहे हैं और इससे अच्छा लाभ कमा रहे हैं।

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अनार की खेती से लोगों की सेहत तो बनेगी ही आय भी भरपूर होगी

गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा असर फसलों पर पड़ता है। ज्यादातर फसलों में बढ़ती गर्मी के साथ ही सिंचाई भी बढ़ानी पड़ती है। जिससे किसानों को खेती में ज्यादा लागत आती है। अगर आप गर्मियों में अनार की खेती करेंगे तो इसका बहुत फायदा मिलता है। दरअसल, अनार की फसल को ज्यादा सिंचाई की

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सौर ऊर्जा है भविष्य की ऊर्जा

देश में सौर ऊर्जा भविष्य की ऊर्जा है दरअसल सौर ऊर्जा कभी न खत्म होने वाला संसाधन है और ये नवीकरणीय संसाधनों का सबसे बेहतर विकल्प है। सौर ऊर्जा पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है। जब इसका इस्तेमाल किया जाता है, तो ये पर्यावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड और कई हानिकारक गैसें नहीं छोड़ती।

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चोल साम्राज्य के अंतर्गत पंचायती राज व्यवस्था

चोल साम्राज्य की स्थापना विजयालय ने की थी जो आरम्भ में पल्लवों का एक सामंती सरदार था। उसने 850 ई . में तंजौर को अपने अधिकार में कर लिया और पाण्ड्य राज्य पर चढ़ाई कर दी। चोल 897 ई . तक इतने शक्तिशाली हो गए थे कि उन्होंने पल्लव शासक को हराकर उसकी हत्या कर दी

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पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी

मानव विकास के इतिहास में नारी का भी उतना ही महत्व रहा है जितना कि पुरुष का। वास्तव में समाज में महिलाओं की स्थिति, रोजगार और कार्य किसी राष्ट्र की समग्र प्रगति का सूचक है। राष्ट्रीय गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी के बिना किसी देश की सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक प्रगति रुक जाएगी।

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चेरी टमाटर उगाएं, हर महीने बंपर मुनाफा कमाएं

देश में टमाटर एक बेहद लोकप्रिय सब्जी है। खाद्य पदार्थ में टमाटर का एक अहम योगदान है। सब्जी हो या फिर कोई अन्य व्यंजन टमाटर का इस्तेमाल करना आम बात है। सब्जी के अलावा अगर सलाद में टमाटर का उपयोग न हो तो सलाद का टेस्ट फीका लगता है। चटनी से लेकर सॉस और जूस के रूप में लगभग हर

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के किसानों को धन्यवाद देते हुए प्राकृतकि खेती करने का आह्वान किया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के स्थापना दिवस के अवसर पर उपकार की 33 वर्षों की शानदार यात्रा के लिए सभी को बधाई दी।

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फसलों का सुरक्षा कवच है प्लास्टिक मल्चिंग

देश में मौजूदा समय में जिस अनुपात में जनसंख्या दर में बढ़ोत्तरी हो रही है। उसी अनुपात में खाद्यान्न की पैदावार भी जरूरी है। इसलिए खेतीबाड़ी में रोजगार के साथ व्यापार की भरपूर संभावनाएं हैं। इसी के चलते ये क्षेत्र मौजूदा समय में इनोवेटिव आइडिया लेकर आगे बढ़ रहा है।

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खेत में ऐसे लहलहायेगी अरहर की खेती

देश में कई ऐसे किसान हैं जिनके पास न तो खेती योग्य अधिक भूमि है और न ही उनके पास आय का कोई दूसरा स्रोत है। ऐसे सीमांत किसानों को कम लगत में अधिक मुनाफा देनी वाली दलहनी फसल अरहर की खेती आधुनिक तरीके से करके मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के साथ ही साथ फसल की अधिक

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कैसे करें लोबिया का बेहतर उत्पादन ?

लोबिया एक ऐसा पौधा है जिसकी फलियां पतली और लंबी होती हैं। इसकी सब्ज़ी बनाई जाती है। इसे दलहनी सब्ज़ी कह सकते हैं। दरअसल लोबिया एक तरह का बोड़ा है। जिसे कई अलग-अलग जगहों पर फलियां, बोरो, चौला, चौरा या फिर बरबिट्टी आदि नामों से जाना जाता है।

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पंचायतों को चाहिए समावेशी विकास

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए देश में समावेशी विकास को बढ़ावा देना आवश्यक है। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना था। इसी उद्देश्य़ को देखते हुए भारत ने पंचायती राज प्रणाली को अंगीकार किया और इसे संवैधानिक रूप दिया गया। भारत सरकार वित्तीय बाधाओं के बावजूद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को

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कैसे होता है थनैला रोग? बचने के उपाय और रोकथाम कैसे करें?

जो किसान पशुपालन करते हैं, वे अक्सर किसी न किसी पशु रोग से परेशान रहते हैं। गाय-भैंस हो या बकरियां इनमें होने वाले रोगों में एक रोग ऐसा है, जो सीधे दूध उत्पादन को प्रभावित करता है। यानि पशुओं से दूध मिलना मुश्किल हो जाता है। साथ ही दूध की क्वालिटी भी खराब हो जाती है।

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विदेशी सब्जी जुकिनी उगाएं खूब कमाएं

खेतीबाड़ी में व्यापार का एक बड़ा बाजार विदेशी सब्जियों का खड़ा हो चुका है। पूरी दुनिया के पर्यटन नक्शे पर देश की प्रमुखता इस व्यवसाय के विस्तार की एक खास वजह मानी जा रही है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हो या पंजाब, हिमाचल प्रदेश और बिहार तक के किसान विदेशी प्रजातियों वाली सब्जियां

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स्टार्टअप के लिए मिलेगा 25 लाख तक का अनुदान

किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए सरकार समय-समय पर कई तरह की योजनाएं लॉन्च करती रहती है। इसी कड़ी में सरकार द्वारा किसानों के बीच रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए स्टार्टअप को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत नवाचार और कृषि उद्यमिता

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फलों के बाग लगाना चाहते हैं तो इसका ध्यान जरुर रखें

हमारे देश में पिछले कुछ सालों में फलों के बाग लगाने का चलन बढ़ा है। सरकार भी इसके लिए किसानों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि फलों के बाग लगाने से किसान बेहद कम समय में ज्यादा मुनाफा हासिल कर सकते हैं। कई दूसरी राज्य सरकारें भी फलों के बाग लगाने के लिए

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खेतीबाड़ी में सफलता का मूल मंत्र, आधुनिक कृषि यंत्र

देश में जय जवान, जय किसान का नारा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया, जबकि अटल बिहारी वाजपेयी ने इस नारे में ‘जय विज्ञान’ को जोड़ दिया। देश में खेतीबाड़ी भी अब साइंस बन गई है। समय और श्रम की बचत के साथ-साथ कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए किसानों को नई तकनीक के उन्नत कृषि यंत्रों का

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कार्य शिक्षा , उसका महत्व और अमल में लाने के तरीके

दोस्तों, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव पिपल्स एसोसिएशन यानि कि AIPPA व्यक्तित्व विकास के साथ राष्ट्र के विकास की अवधारणा पर आगे बढ़ रहा है। हम सब जानते हैं कि बिना शिक्षा के व्यक्तित्व विकास नहीं हो सकता, लेकिन शिक्षा कैसी हो कि व्यक्तित्व के साथ-साथ राष्ट्र का भी विकास हो सके ?


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खाद्यान्न फसलों की रानी यानी मक्के की खेती कैसे करें

देश-विदेश में मक्का को खाद्यान्न फसलों की रानी कहा जाता है। दरअसल इसकी उत्पादन क्षमता अन्य खाद्यान्न फसलों से ज्यादा है। पहले मक्के को गरीबों का मुख्य भोजन कहा जाता था। जबकि अब ऐसा नहीं है। इसका उपयोग अब मानव आहार में 25 फीसदी, कुक्कुट आहार में 49 फीसदी, पशु आहार में 12 फीसदी

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इन बातों का ध्यान रखकर टमाटर की खेती से 15 लाख तक कमाएं

हमारे देश में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है। देश भर के कई किसान टमाटर की खेती से बड़ा मुनाफा कमाते हैं। अगर कोई किसान 1 हेक्टेयर में भी टमाटर की खेती करता है, तो वह 800 से 1200 क्विंटल टमाटर का उत्पादन कर सकता है।



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आवारा पशुओं से ना हों परेशान, सरकार करेगी आपका समाधान

देश के कई राज्यों में खरीफ फसलों की बुवाई शुरु हो गई है। जिससे किसानों के सामने कई तरह की समस्याएं आने लगी हैं। सिंचाई के अलावा फसलों को आवारा पशुओं से बचाने के लिए किसानों को काफी मशक्कत करनी होती है, इसके लिए अधिकतर किसान दिन-रात खेतों के आसपास ही रहते हैं।

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स्वशासन के उद्देश्य को प्रभावित करती खाप पंचायत

देश में शक्ति के विकेंद्रीकरण और लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से पंचायती राज व्यवस्था शुरू की गई थी। ताकि स्थानीय स्वशासन को मजबूत किया जा सके और लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति की जा सके, लेकिन पंचायती राज व्यवस्था के समानांतर देश में एक ऐसी व्यवस्था भी है

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समय की मांग है या किसानों के लिए वरदान है नैनो यूरिया

देश में फर्टिलाइजर की बढ़ती मांग को देखते हुए इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड यानि (IFFCO) ने किसानों की इस विकट समस्या का समाधान निकाला है। किसानों को अब यूरिया बोरी में नहीं, बल्कि बंद बोतल में मिलेगा। इफको ने दुनिया का पहला नैनो यूरिया विकसित किया है।

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श्री विधि से कीजिए धान की बंपर खेती

धान यानी चावल खरीफ सीजन की एक प्रमुख फसल है। देश के अधिकतर किसान धान की खेती करते हैं। धान की रोपाई करने में अधिक संख्या में मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में किसानों का समय और लागत दोनों अधिक लगता है। इसी को देखते हुए IARI पूसा नई दिल्ली के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को धान

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प्रेरणास्रोत बना भारत का स्मार्ट गांव “ओडनथुरई”

देश में स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने और विकास की अनोखी लकीर खीचने के उद्देश्य से पंचायती राज प्रणाली को अपनाया गया। हालांकि इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कई परेशानियां भी सामनें आईं। इन सबके बावजूद तमिलनाडु के एक छोटे से गांव ओडनथुरई ने सही मायने में इस कार्यक्रम को सफल

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बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा की गारंटी है ‘अटल पेंशन योजना’

हमारी जिन्दगी में बहुत से ऐसे पड़ाव आते हैं जब कमाने के साधन खत्म या कम हो जाते हैं। इसलिए आपको अपने बुढ़ापे का सहारा ढूंढ़ना जरुरी है और उस समय आपके अपने पैसों से बेहतर सहारा और कोई नहीं हो सकता। जी हां तो आप अपने बुढ़ापे के लिए सतर्क हो जाएं

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तुरंत करें ये काम तो खाते में आएंगे दो हजार रूपये

पीएम किसान योजना के तहत किसानों को प्रत्येक साल छह हजार रुपये की राशि दी जाती है। प्रत्येक चार-चार महीने पर दो हजार रुपये किसानों के खाते में भेजे जाते हैं।



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खेती ऐसी कि मालामाल हो जाएंगे किसान

मात्र 20 हजार लगाकर कमाएं 4 लाख तक का मुनाफा

गेंदे के फूल को बारहमासी पौधा भी कहा जाता है। साल भर में इसकी तीन बार खेती की जा सकती है। लगभग हर त्योहारों में इसकी मांग बनी रहती है। जिससे किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।

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समेकित कृषि प्रणाली से कैसे करें जीरा मसाले की खेती

मसालों में जीरे का अपना एक अहम स्थान है। कोई भी सब्जी, दाल या कोई अन्य डिश बनानी हो सभी में जीरे का इस्तेमाल होता है। जीरे के बिना सभी मसालों का स्वाद फीका सा लगता है। जीरे को भूनकर छाछ, दही आदि में डालकर पिया जाता है। बता दें जीरा न केवल खाने के स्वाद को बढ़ता है

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पंचायत को मजबूत करती “सांसद आदर्श ग्राम योजना”

पंचायती राज व्यवस्था और ग्राम स्वशासन को मजबूत करने के उद्देश्य से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर, 2014 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में लोक नायक जय प्रकाश नारायण की जयंती पर सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) का शुभारंभ किया था। इस योजना का लक्ष्य मार्च 2019 तक

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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का कैसे उठायें लाभ

खरीफ फसलों की बुवाई का समय नजदीक आ चुका है। कई राज्य इस वक्त गिरते भूजल स्तर के संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे में सिंचाई के लिए कई तरह की समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को इससे बचाने के लिए अनेकों योजनाएं चला रही हैं।

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तीसरे ग्लोबल ऑर्गेनिक एक्सपो 2022 का सफलतापूर्वक आयोजन

IARI पूसा, नई दिल्ली में तीसरे ग्लोबल ऑर्गेनिक एक्सपो 2022 का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। जहां 26 से 28 मई, 2022 के बीच हजारों किसानों ने आर्गेनिक फॉर्मिंग और इससे होने वाले लाभ के बारे में जानकारी ली, साथ ही कई सफल किसानों से मिलकर इस तरह की फॉर्मिंग करने के बारे में विचार-विमर्श

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इंटर क्रॉपिंग पद्धति फसलें देंगी कम समय में ज्यादा मुनाफा

आज कल किसान नई तकनीक से खेती करके अच्छा पैसा कमा रहे हैं। ऐसे में अगर आप भी पारंपरिक फसलों से हटकर कोई अलग और अधिक मुनाफे वाली खेती करना चाहते हैं, तो हम आपको इंटर क्रॉपिंग पद्धति के बारे में बताएंगे, जो कम लागत में गजब का मुनाफा देगी

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शिक्षा की चुनौतियां, संभावनाएं और समाधान

जैसा कि आप जानते हैं कि ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव पिपल्स एसोसिएशन यानि कि AIPPA, व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण की अवधारणा पर सतत अग्रसर है। हमारा मानना है कि व्यक्ति और राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षा एक अहम कड़ी है। हम सभी जानते हैं कि सरकार ने सालों बाद एक नई शिक्षा नीति

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धारा-370 हटने के बाद जम्मू व कश्मीर में पंचायती व्यवस्था

अप्रैल 1999 में 73वें संविधान संशोधन के माध्यम से भारत में पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई । इस व्यवस्था के तहत स्थानीय लोगों को न केवल स्थानीय आवाज को मंच देने का मौका मिलता है बल्कि स्थानीय स्तर पर एक ऐसी सरकार स्थापित करने का अवसर भी मिलता है

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बासमती धान की उन्नत खेती तकनीक

देश में चावल हर घर का भोजन है। कहा जाता है कि चावल से शरीर का वजन भी बढ़ता है। जब भी खान-पान की बात होती है तो उसमें किसी भी तरह का कोई कम्प्रोमाइज करना नहीं चाहता है। हर कोई अपने आहार में बेस्ट चीजें शामिल करना चाहता है। भारत की आधी आबादी चावल खाना पसंद करती है।

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समेकित पोषक तत्व प्रबंधन अपनाकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएं

देश की लगभग दो तिहाई आबादी की जीविका का मूल आधार कृषि है। लेकिन खेती योग्य जमीन का उपजाऊपन एवं गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है। दरअसल देश में हरित क्रांति के बाद कृषि उपज में तो खूब बढ़ोत्तरी हुई, लेकिन ज्यादा से ज्यादा उपज पाने के लिए जिस तरह रासायनिक उर्वरक

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जैव उर्वरकों के इस्तेमाल से बढ़ाएं पैदावार

आज के वक्त में हमारी खेती को रासायनिक उर्वरकों और हानिकारक पेस्टीसाइड ने पूरी तरह से जकड़ लिया है, जिसकी चपेट में अनाज और सब्जियां भी आ रही हैं, इन्हें खाने से लोगों में कई गंभीर प्रकार की बीमारियों का ख़तरा बढ़ता जा रहा है। रासायनों के बढ़ते खतरे को देखते हुए किसान अब जैविक खेती पर

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क्वीन ऑफ राइस कही जाने वाली बासमती की खेती के फायदे

खाने में जब बात चावल की होती है तो सबसे पहले दिमाग में बासमती चावल का ही नाम आता है। ये चावल की सबसे अच्छी किस्म है, जिसकी खुशबू हमें दीवाना बना देती है। लजीज भारतीय बासमती चावल के कद्रदान पूरी दुनिया में हैं। पूरी दुनिया में करीब 90 फीसदी बासमती चावल का निर्यात अकेले भारत

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कम जगह में अधिक उपज के लिए करें आम- अमरूद की हाई डेंसिटी बागवानी

खेती-किसानी में बागवानी एक ऐसा एरिया है जिसमें किसान सीमित जमीन से भी अधिक लाभ कमा सकते हैं। बागवानी से ज्यादा मुनाफा मिले उसके लिए किसानों को सघन बागवानी यानि हाई डेंसिटी बागवानी को अपनाना चाहिए।

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भारत में क्यों सफल नहीं हो रही पंचायती राज व्यवस्था?

जैसा की आप जानते हैं, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव पिपल एसोसिएशन यानि की AIPPA का मकसद है व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में योगदान देना। दोस्तों, महात्मा गांधी से लेकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय तक, जैसा की आप जानते हैं, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव पिपल एसोसिएशन यानि की AIPPA

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संकर धान की उत्पादकता कैसे बढ़ाएं

पूरे विश्व की लगभग 2.7 बिलियन से अधिक आबादी का मुख्य भोजन चावल ही है। विश्व में खद्यान्न सुरक्षा में चावल की अहम भूमिका है। धान ही एक मात्र ऐसी फसल है जिसकी खेती सभी परिस्थितियों यानी सिंचित, असिंचित, जल प्लावित, ऊसरीली और बाढ़ ग्रस्त भूमियों में सुगमता से की जा सकती है। इसकी खेती पूरे विश्व में तकरीबन 150 मिलियन हेक्टेयर

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आच्छादन पद्धति से बढ़ाएं गेहूं की पैदावार

अन्नदाता देश की जीवन रेखा है। किसी भी देश का विकास खेतीबाड़ी के विकास के बिना अधूरा है। देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्‍चित करने का पूरा श्रेय हमारे किसानों यानी अन्नदाता को ही जाता है। एक समय था, जब हम अनाज के लिए पश्चिमी देशों पर निर्भर थे। देश में हरित क्रांति के बाद हालात तेजी से बदले।

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समेकित कृषि प्रणाली से करें सघन बागवानी

अगर आपको प्रकृति से प्यार है और खेती-किसानी की चाह है तो आप भी सघन बागवानी में संभावनाएं तलाश सकते हैं। कुछ सालों में बागवानी फसलों के उत्पादन में काफी तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। जैसा कि हम जानते हैं कि फलों की मांग बाजार में सालभर रहती है। फूलों की बात करें तो इसके उत्पादन में भी लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज

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गंगा की सफाई के लिए मोदी सरकार की कोशिश

नमस्कार, गंगा की अविरलता और निर्मलता को लेकर हम अपने ब्लॉग के जरिए लगातार आपको जानकारी दे रहे हैं, गंगा के उद्गम से लेकर गंगा की धारा में मिलने वाली अनेकों नदियों की धारा को गंगा अपने में समेटते हुए गंगा सागर तक ले जाती हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि लोग सबकुछ जानते हुए भी अनजान बनें बैठें हैं,

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मनरेगा से मजबूत होती ग्रामीण अर्थव्यवस्था

ग्रामीण योजनाओं की बात करें तो गांव से लेकर संसद तक सबसे अधिक चर्चा मनरेगा की होती है। कांग्रेस इसे अपनी सफल योजनाओं में से एक मानकर ग्रामीण बेरोजगारी के मामले में सरकार को घेरती रहती है। ये सच है कि लाख कमियों के बावजूद मनरेगा योजना लागू होने के बाद पंचायती राज व्यवस्था

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समेकित कृषि प्रणाली का प्रबंधन क्यों है जरूरी

Integrated farming यानी समेकित कृषि प्रणाली प्रबन्धन एक ऐसा विषय है जो किसानों की आर्थिक दशा सुधार सकता है लेकिन ये आसानी से किसानों की समझ में नहीं आता। जाने-अनजाने कृषि कार्य करते समय सदुपयोग करने योग्य अनेकों स्रोत्र व्यर्थ चले जाते हैं।

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समेकित कृषि प्रणाली से कैसे करें पशुपालन

IARI पूसा नई दिल्ली के कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रामीणों की आमदनी का मुख्य स्रोत कृषि है। लेकिन महंगाई के इस दौर में कई बार केवल खेती करने से किसानों को अपेक्षित आमदनी नहीं हो पाती है। ऐसे में अधिक लाभ के लिए खेती के साथ पशु पालन एक बेहतर विकल्प है।

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स्थानीय स्वशासन की परिकल्पना कितनी प्रभावशाली

आज किसान पारम्परिक खेती छोड़ ऐसी खेती की ओर देख रहा है जो कम लागत, कम श्रम के साथ समय की बर्बादी से भी उसे बचाये और मुनाफा भी अधिक कमाकर दे सके। इसी कड़ी में आज हम एलोवेरा की खेती की बात करेंगे जो कम लागत और कम मेहनत के बावजूद बम्पर मुनाफा देती है।

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वर्मी कम्पोस्ट बनाकर करें लाखों की कमाई

आज किसान पारम्परिक खेती छोड़ ऐसी खेती की ओर देख रहा है जो कम लागत, कम श्रम के साथ समय की बर्बादी से भी उसे बचाये और मुनाफा भी अधिक कमाकर दे सके। इसी कड़ी में आज हम एलोवेरा की खेती की बात करेंगे जो कम लागत और कम मेहनत के बावजूद बम्पर मुनाफा देती है।

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एलोवेरा की खेती कर लाखों कमाएं

आज किसान पारम्परिक खेती छोड़ ऐसी खेती की ओर देख रहा है जो कम लागत, कम श्रम के साथ समय की बर्बादी से भी उसे बचाये और मुनाफा भी अधिक कमाकर दे सके। इसी कड़ी में आज हम एलोवेरा की खेती की बात करेंगे जो कम लागत और कम मेहनत के बावजूद बम्पर मुनाफा देती है। एलोवेरा की खेती के लिए सबसे जरूरी है

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जल है तो कल है...

जल है तो कल है। जी हां, पानी हमारे जीवन की सबसे अहम कड़ी है, क्योंकि जल के बिना पृथ्वी पर सजीव जगत की कल्पना करना नामुमकिन है। जल के बिना न सिर्फ सजीव जगत की, बल्कि इस हरी-भरी धरती की भी कल्पना नहीं की जा सकती। तभी तो कहा जाता है कि जल ही जीवन है। जल के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है।

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गांधी का सपना, कैसा हो गांव अपना

सालों पहले भारत के ग्रामीण परिवेश पर अपनी राय व्यक्त करते हुए महात्मा गांधी ने कहा था “भारत की स्वतंत्रता का अर्थ पूरे भारत की स्वतंत्रता होना चाहिए, और इस स्वतंत्रता की शुरुआत नीचे से अर्थात गांव से होनी चाहिए तभी प्रत्येक गांव एक गणतंत्र बनेगा।” अगर हम महात्मा गांधी के इस विचार को समझने की कोशिश करें तो इसके अनुसार प्रत्येक गांव को

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कैसे होगी गंगा साफ?

गंगा एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही मन में पवित्रता की अनुभूति होती है, लेकिन क्या गंगा अब पवित्र रही ? हमारे लिए गंगा सिर्फ नदी ही नहीं बल्कि जीवन दायिनी है, सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ी एक आस्था है, जिसमें डूबकी लगाने से इंसान के सारे पाप धुल जाते हैं। लेकिन हमने अपने पाप धुलने के अलावा इसमें सब कुछ प्रवाहित करना शुरू कर दिया है

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स्थानीय स्वशासन के माध्यम से सपना साकार करता उत्तर प्रदेश

भारत प्राचीन काल से लोकतंत्र जैसी पंरपरा को अपनाता रहा है। हमारे ग्रन्थ ऋग्वेद में भी ‘सभा’ और ‘समिति’ के रूप में लोकतांत्रिक संस्थाओं का जिक्र मिलता है। इतिहास के विभिन्न कालखंडों में राजनैतिक उथल-पुथल के बावजूद ग्रामीण स्तर पर यह प्रजातांत्रिक व्यवस्था निरन्तर किसी न किसी रूप में

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कम लागत में मिट्टी की जांच कराएं, फसल की पैदावार बढ़ाएं

हमारे देश में कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें मिलने वाले रोजगारों के विकल्प अन्य सेक्टरों से कहीं अधिक हैं। मिट्टी का हमारे जीवन में बहुत ही अहम महत्व है। मिट्टी से ही खेतों में फसल की अच्छी पैदावार होती है और तो और जैसे इंसान जल के बिना नहीं रह सकता है ठीक वैसे ही मिट्टी हमारे जीवन में अनमोल है लेकिन

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गंगा दिन ब दिन हो रही है मैली

भारतीय जन-मानस की आस्था का जीवंत प्रतीक है गंगा नदी । गंगा जिसे भारत में मां की उपाधि से नवाजा गया है। गंगा भारत की सबसे बड़ी नदी है जो धार्मिक महत्व के साथ देश के 11 राज्यों में भारत की आबादी के 40 प्रतिशत लोगों को पानी उपलब्ध कराती है। गंगा भारत की जीवनरेखा है जो गंगोत्री से अवतरित होती हैं लेकिन आज दिन-प्रतिदिन मैली होती जा रही है।

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समेकित कृषि प्रणाली से पांच गुना मुनाफा कमाएं

कृषि देश की अर्थव्यवस्था की आधारशिला ही नही बल्कि देश की दो तिहाई आबादी की रोजी रोटी और आजीविका का साधन भी है। देश के विकास और प्रगति में कृषि और कृषि से जुड़े व्यवसायों का बड़ा योगदान है। देश का आर्थिक और समाजिक ढांचा कृषि पर ही टिका है।

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स्थानीय स्वशासन की जड़ रही बिहार की धरती सीरीज - 3

बिहार की धरती संसार में लोकतंत्र की जननी रही है, बिहार के वैशाली स्थित लिच्छवी और मिथिला के विदेह को इसी रूप में जाना जाता है, जहां सभी प्रकार के सामाजिक फैसले कोई एक व्यक्ति नहीं वरन समाज के सभी लोग आम सहमति बनाकर लेते थे। बिहार ने न सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप को बल्कि दुनिया को

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अद्धभुत रहस्यों से भरी है वसुधरा झरना

देवभूमि या कहें तो उत्तराखंड में घूमने के लिए कई जगह हैं.यहां पर ऋषिकेश, नैनीताल, हरिद्वार, रानीखेत और मसूरी जैसे जगह बेहद खूबसूरत और रमणीय स्थल हैं, जिसे देवभूमि भी कहा जाता हैं.दरअसल, मान्यता है कि इसके कण-कण में देवों का वास है.यहां की नदियों और झरनों से लेकर धार्मिक स्थलों तक

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ग्राम सभा, ग्राम पंचायत और पंचायतों के संवैधानिक अधिकार - सीरीज-2

ग्राम पंचायत स्थानीय स्वशासन की एक संवैधानिक इकाई है। ग्राम पंचायत हेतु ग्राम सभा में से लोग उम्मीदवार होते हैं। और इन उम्मीदवारों को ग्राम सभा के लोग अपने मत के द्वारा चुनने का काम करते हैं। ग्राम पंचायत का एक निश्चित कार्यकाल होता है।

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प्राचीन काल से ग्राम स्वशासन व्यवस्था भारतीय लोकतंत्र को करता रहा है मजबूत सीरीज- 1

वैदिक काल से ही देश में ग्राम को क्षेत्रीय स्वशासन की आधारभूत इकाई माना जाता है। रामायण के अध्ययन से संकेत मिलता है कि प्रशासन दो भागों-पुर और जनपद अर्थात् नगर और गांव में विभाजि महाभारत पुराण के अनुसार,

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गोरखपुरिया पनियाला फिर से देगा रस !

गोरखपुर अपने बेहतरीन आम गवरजीत और काला नमक चावल के लिए ही नहीं,बल्कि यहां का मशहूर फल पनियाला के लिए भी जाना जाता है, इसका स्वाद इतना अच्छा होता है कि इसे देखते ही मुंह में पानी आ जाता है। इसका खट्टा मीठा स्वाद और सुंदर चटखदार जामुनी रंग लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने

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सॉयल सोलराइजेशन से बेहतर होगी पैदावार

प्रतिस्पर्धा की इस दौड़ में खेती में उपलब्ध सीमित संसाधनों से अधिक से अधिक उत्पादन लेने की होड़ मची हुई है। इसके लिए किसान खेतीबाड़ी में खरपतवारों, कीड़ों और बीमारियों की रोकथाम के लिए रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे न केवल हमारे पर्यावरण को भारी नुकसान..

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भारत की जीवनदायिनी है मां गंगा-1

जल है तो जीवन है। कहा जाता है कि दुनिया के तीन भाग में सिर्फ पानी ही पानी है, मात्र एक भाग है जिसपर जीवन बसा है प्रकृति ने जीवन की संरचना पंचतत्व से की है लेकिन यही वो पंचतत्व है जिसके ईर्द-गिर्द पूरा ब्राह्मांड है। पृथ्वी, जल, अग्नि वायु और आकाश जीवन के लिए हर एक तत्व बहुत ही अनिवार्य है लेकिन जल जो जीवन का एक ऐसा हिस्सा है

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भारत की जीवनदायिनी है मां गंगा-2

अलकनंदा और पिंडर नदी के संगम पर बसा है कर्णप्रयाग, पिंडर नदी जिसे कर्ण गंगा के नाम से भी जाना जाता है. कुमाऊं के बागेश्वर स्थित पिंडारी ग्लेशियर से निकलती है जो 3820 मीटर और 12,530 फुट की ऊंचाई पर स्थित है. महाभारत के महान योद्धा और...

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गंगा में मिलने वाली कौन-कौन सी है सहायक नदियां-3

नमस्कार दोस्तों गंगा के पिछले ब्लॉग में हमने आपको बताया कि कैसे गंगा पहाड़ी सफर को तय करने के बाद हरिद्वार में पहली बार गंगा ज़मीन को स्पर्श करती हैं। हरिद्वार जहां रोज़ाना हज़ारों लोग हर की पैड़ी पर आस्था की डूबकी लगाते हैं, जिसे चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार कहा जाता है,

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गौरजीत आम का सुगंध देश को दिलाएगी डॉलर

हमारे देश में आम की कई वैरायटी देखने को मिलती हैं। लखनऊ का दशहरी आम हो या नासिक का मुंबइया, चौंसा, तोतापरी बाजार में खूब बिकते हैं, लेकिन इन सबके बीच गोरखपुर के गवरजीत आम ने शहर का गौरव बढ़ाया है। स्वाद,खुशबू और मिठास की बदौलत इसकी अलग पहचान है।

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किसानों का काला हीरा ‘काला नमक चावल’

मौजूदा समय में पूरी दुनिया जैविक खेती पर जोर दे रही है। सामान्यतौर पर 'काला नमक' चावल जैविक खेती के जरिए ही उगाया जाता है। काला नमक चावल देश के सबसे खुशबूदार चावलों में से एक है। इसके धान की विशेषता ये है कि बिना किसी उर्वरकों और कीटनाशकों की मदद से इसे उगाया जाता है।

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किसानों के लिए वरदान है हाइड्रोजेल

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की अर्थव्यवस्था खेती पर निर्भर है। देश में जल की कमी के चलते फसल की सिंचाई करना गंभीर समस्या है। मौजूदा समय में कई राज्यों में जल की कमी के चलते, फसल को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ये बात हम यूं ही नहीं कह रहे हैं। दरअसल पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जहां...

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फलों के राजा आम का ऐसे करें बचाव

राष्ट्रीय फल आम का भारतीय संस्कृति से गहरा संबंध है। आम का नाम सुनते ही मुंह में अनोखा रस घुल जाता है। इसीलिए आम को फलों का राजा कहा जाता है। आम की 1 हजार 500 से अधिक प्रजातियां पूरे विश्व में पाई जाती हैं। जिनमें से 1 हजार प्रजातियां भारत में ही पाई जाती हैं।

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लेयर पॉल्ट्री फार्म कर आप अपनी कमाई 5 से 10 गुना बढ़ा सकते हैं, जानें कैसे.

संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे…आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी…हमारे देश में अंडे और मांस की बहुत अधिक मात्रा में मांग है. आज के दौर में अंडे की मांग की पूर्ती कर पाना भी मुश्किल हो गया है. अंडा हमारी सेहत के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है.

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जानिए गर्मियों में गहरी जुताई के फायदे

खेतीबाड़ी में मिट्टी की बहुत अहमियत होती है। इस समय गर्मी का मौसम चल रहा है, सूरज की रोशनी सीधे धरती पर पड़ती है, जिससे भूमि का ताप कई गुना बढ़ जाता है, खेती में इस मौसम का भी बड़ा महत्व है। वर्तमान में आधुनिक तरीके से खेती की जा रही है, इससे किसानों को काफी फायदा मिला है,

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ड्राई लैंड में प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन संरचनाओं के जरिए सब्जियों की खेती, बेहतर कमाई का जरिया

वर्तमान में देश में लगभग 12.5 करोड़ टन सब्जियों का उत्पादन हो रहा है, जबकि प्रति व्यक्ति प्रति दिन 300 ग्राम की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आज 13.5 करोड़ टन सब्जी की जरूरत है। देश में कम फसल उत्पादन की मुख्य वजह साल भर...

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अंतर्राष्टीय अर्थ डे और उसका महत्व, कैसे बचेगी धरती?

धरती स्पष्ट रूप से कार्रवाई का आह्वान कर रही है। प्रकृति पीड़ित है। महासागर प्लास्टिक से भर रहे हैं और अधिक अम्लीय हो रहे हैं। अत्यधिक गर्मी, जंगल की आग और बाढ़, साथ ही रिकॉर्ड तोड़ने वाले अटलांटिक तूफान के मौसम ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है। इन दिनों भी हम कोविड-19 का सामना कर रहे हैं,

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बडचिप तकनीक से गन्ने की खेती से मिलेगा कम लागत में ज्यादा मुनाफा

गन्ने की फसल के लिहाज से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक गन्ना उपजाने वाला राज्य है। जहां देश के कुल रकबे का 46 फीसदी और कुल उत्पादन का 45 फीसदी गन्ना उपजाया जाता है। लेकिन यह राज्य गन्ने के प्रति एकड़ उत्पादन के मामले में

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ड्रैगन से डरें नहीं, ड्रैगन उगाएं और खूब कमाएं

खेती से प्रति हेक्टेयर ज़्यादा पैदावार लेने के लिए किसान तरह-तरह की तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं जिससे खेती से अधिक से अधिक मुनाफा लिया जा सके। लेकिन कभी पानी की कमी तो कभी मौसम की मार, किसानों को लाखों का नुकसान पहुंचा जाती है। इन सबके बावजूद भी कुछ ऐसे किसान हैं जो

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विंड्रोव तकनीक से फसल अवशेष और खर-पतवारों का बनाएं जैविक खाद

हमारे देश में हरित क्रांति के बाद फसल उत्पादन में लगातार बढ़ोत्तरी हुई। जहां हम पहले अनाज का आयात करते थे, वहीं आज हम दुनिया के 10 बड़े निर्यातक देशों में शामिल हो गये हैं। इस सफलता को पाने में हमने बहुत कुछ खोया है।

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हाइड्रोपोनिक तकनीक का उपयोग कर घर पर ही फल और सब्जियां उगाएं

भागदौड़ भरी इस जिंदगी में शुद्ध फल और सब्जियां शहरवासियों के लिए तो दुर्लभ हैं ही आने वाले समय में ग्रामीण लोगों के लिए भी ये मुश्किल हो जाएंगी। आबादी का दबाव खेती लायक ज़मीन पर लगातार बढ़ता जा रहा है।

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बुवाई से लेकर कटाई तक स्मार्ट फोन सेंसर से करें स्मार्ट खेती

देश में कृषि क्षेत्र को एक प्रमुख स्थान दिया गया है और कई राज्यों के लाखों किसानों की जीविका खेताबाड़ी पर निर्भर है। किसानों की खेतीबाड़ी से ही आम जनता का पेट भरता है। वहीं कृषि क्षेत्र में बढ़ती समस्याओं और...अनिश्चितताओं के बीच डिजिटल खेती को एक बेहतर विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।

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पौष्टिक गुणों से भरपूर किनोवा, जिसे क्यों कहते हैं मदर ग्रेन, जानिए इसके बारे में क्यों इसकी सबसे ज्यादा मांग है.

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि 21वीं सदी के अंत तक देश को अपनी बढ़ती आबादी के लिए पर्याप्त भोजन मुहैया करवाना है। तो हमें ऐसी फसलों का उत्तम उत्पादन करना होगा।

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दूध में मिलावट की जांच के लिए एनडीआरआई ने विकसित की सस्ती तकनीक

दूध पीना सेहत के लिए कितना फायदेमंद होता है, ये तो सभी जानते हैं। लेकिन किसी को पता नहीं होता कि कब ये दूध अमृत के बजाय जहर बनकर आपके सामने आ जाए। कई मिलावटखोर अधिक मुनाफा कमाने के लिए दूध में ठोस पदार्थ यानि फैट..

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डेयरी फार्म खोलने के लिए मिल रही 25 फीसदी तक की सब्सिडी, आप भी उठाएं लाभ

पशुपालन पहले से ही किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी का एक अच्छा स्त्रोत रहा है। लेकिन किसानों के बीच जागरूकता की कमी के कारण वे अब तक इसे मुख्य व्यवसाय के रूप में नहीं अपना पा रहे हैं। इसी वजह से वे अब तक इस व्यवसाय से बढ़िया मुनाफा..

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गैप पीरियड में हरी खाद लगाएं खेतों को उपजाऊ बनाएं

फसल में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से न केवल हमारी सेहत खराब हो रही हैबल्कि इसके चलते मिट्टी की उपजाऊ क्षमता भी दिन पर दिन घट रही है। किसानों के फसलों के आय का ज्यादा हिस्सा पैसा रासायानिक उर्रवकों पर खर्च हो रहा है.इसलिए अब जरूरी हो गया है

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स्वच्छ दूध का उत्पादन कैसे करें जिससे बेहतर लाभ और स्वास्थ्य मिले

हाल के दिनों में देखा गया है कि लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक हो रहे हैं। वे अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छा खान-पान और बेहतर दिनचर्या पर ध्यान दे रहे हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए आहार का सर्वोत्तम साधन दूध होता है, जो हर जगह और बहुत आसानी से उपलब्ध है।

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प्रो ट्रे तकनीक अपनाकर बढाएं सब्जियों की उपज

आपने अपने शहर में पौधों की कई नर्सरी देखी होंगी और वहां से फूल के पौधे भी खरीदे होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पौधों की तरह किसानों के लिए भी ऐसी ही नर्सरी सब्जी की बनाई जा सकती है। जो खास तकनीक से तैयार होती है और इसे प्रो ट्रे नर्सरी कहा जाता है।

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तीस गुना मछली उत्पादन के लिए अपनाएं आरएएस तकनीक

इस तकनीक का नाम है- RAS तकनीक यानी RECIRCULATORY AQUACULTURE SYSTEM । इस तकनीक में पारंपरिक विधि के बजाय नियंत्रित वातावरण में पानी का सीमित उपयोग कर इंडोर टैंकों में मछली पालन किया जाता है। इसका उपयोग करके बहुत कम जगह में मछली पालन करके

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आवारा मवेशियों की क्‍या समस्या है, कैसे हो निदान ?

भारत में मवेशी आवारा कब और कैसे होता है ?
समुद्रमंथन में गाय की पांच नस्लें कौन-कौन सी थीं ?
विदेशी गायों को BOS TAURUS क्‍यों कहा जाता है ?
जर्सी गाय से भारतीय गाय क्यों हैं बेहतर ?


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आजादी के पहले और बाद के किसान आंदोलन पार्ट -

भारत में किसान अन्दोलन का इतिहास 200 साल पुराना बंगाल और बिहार में भूमि कर वसूलने की जमींदारी संथाल विद्रोह कैसे समाप्त कर दिया गया था ?



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भारत की प्राचीन शिक्षा व्‍यवस्‍था कैसे थी Convent से बेहतर ?

हमारे संविधान में प्राथमिक शिक्षा के लिए हैं स्पष्ट निर्देश भारत में 10 +2 +3 की शिक्षा पद्‌धति कब हुईं थी लागू ब्रिटिश काल में शिक्षा व्यवस्था को नहीं किया था विकसित स्त्रियों और शूद्रों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाना था उद्देश्य


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देश के विकास के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण होना क्‍यों है जरूरी

उच्च शिक्षा में लड़कियों के लिए क्‍यों हो रही है मुश्किल ?
अपनों ने ही महिलाओं को बनाया क्रूरता का शिकार महिलाओं को 2021 में 127 करोड़ रोजगार मिलने की संभावना राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी कम क्‍यों ?
राजनीति में कैसे बढ़े महिलाओं की भागीदारी ?

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