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समय की मांग है या किसानों के लिए वरदान है नैनो यूरिया

देश में फर्टिलाइजर की बढ़ती मांग को देखते हुए इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड यानि इफको (IFFCO) ने किसानों की इस विकट समस्या का समाधान निकाला है। किसानों को अब यूरिया बोरी में नहीं, बल्कि बंद बोतल में मिलेगा। इफको ने दुनिया का पहला नैनो यूरिया विकसित किया है। ये किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है और आने वाले समय में यूरिया की बढ़ती मांग को देखते हुए इफको देश के किसानों को नैनो यूरिया खरीदने के लिए जागरूक कर रही है। बताया जा रहा है कि आधा लीटर नैनो यूरिया 50 किलो यूरिया के बराबर है और ये कम खर्चीला भी है। नैनो यूरिया बाजार में भी आसानी से मिल जाता है इससे किसानों का समय भी बचेगा और रासायनिक उर्वरकों की तुलना में बेहतर उपज के साथ ही ये पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।

खेतीबाड़ी में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग को रोकने के लिए उर्वरक उत्पादन करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको (IFFCO) ने नैनो तकनीक पर आधारित नैनो नाइट्रोजन, नैनो जिंक और नैनो कॉपर तैयार किए हैं। इसका देशभर में बड़े पैमाने पर ट्रायल किया गया है। ट्रायल में इसके अच्छे नतीजे भी सामने आए हैं। इफको का दावा है कि इन नैनो उत्पादों से इस समय किसान जिस मात्रा में उर्वरकों का इस्तेमाल अपने खेत में करते हैं, उसमें काफी कमी आएगी और इसके इस्तेमाल से फसल की पैदावार भी बढ़ेगी यानि सरल शब्दों में कहें तो किसानों को इससे कम लागत में दोगुना मुनाफा होगा। नैनो यूरिया की 500 मि.ली. बोतल की कीमत लगभग 240 रूपये रखी गई है। किसान इसे खरीदने के लिए नजदीकी इफको बिक्री केंद्र पर या इफको की वेबसाइट पर ऑनलाइन आर्डर करके सीधे घर मंगवा सकते हैं।

आपको बताते हैं कि नैनो यूरिया क्या है?

नैनो यूरिया नैनो तकनीक पर आधारित एक अनोखा उर्वरक है जो कि विश्व में पहली बार विकसित किया गया है नैनो यूरिया ठोस यूरिया का ही तरल रूप है। इसकी 500 मिली लीटर की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो कि सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करता है। ये तरल यूरिया किसानों के लिए काफी सुविधाजनक और किफायती है। ये तरल यूरिया पौधों के पोषण के लिए काफी प्रभावी और असरदार है। नैनो यूरिया फसलों को मजबूत और स्वस्थ बनाने के साथ-साथ फसलों को गिरने से भी बचाता है। और इसका परिवहन और भंडारण खर्च भी काफी कम है। ये फसलों की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने में भी मददगार है। ये सामान्य दानेदार यूरिया की तरह जमीन में जाकर मिट्टी को दूषित नहीं करता बल्कि ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अहम भूमिका निभाता है।

नैनो यूरिया इस्तेमाल कैसे किया जाता है

उपज बढ़ाने के लिए परंपरागत तरीके से प्रयोग किए जाने वाले यूरिया को किसान छिड़काव विधि से करते थे, लेकिन नैनो यूरिया इस्तेमाल कुछ अलग तरीके से किया जाता है। इसका इस्तेमाल फसल की पत्तियों पर स्प्रे से किया जाता है। और स्प्रे करने के लिए 1 लीटर पानी में लगभग 2-4 मिली नैनो यूरिया मिलाया जाता है। अनाज, तेल, सब्जी, कपास आदि फसलों में दो बार और दलहनी फसलों में एक बार नैनो यूरिया का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें पहला छिड़काव अंकुरण या रोपाई के 30 से 35 दिन बाद तथा दूसरा छिड़काव फूल आने के 1 सप्ताह पहले किया जा सकता है। एक एकड़ खेत के लिए प्रति छिड़काव लगभग 150 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। जैसे कि नैनो यूरिया लिक्विड पर्यावरण के अनुकूल है, लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल करते समय मास्क आदि का प्रयोग करना चाहिए। स्प्रे का प्रयोग सुबह या शाम को नहीं करना चाहिए। इसका सबसे ज्यादा फायदा तब होता है, जब फसल की पत्तियों पर पानी की बूंदें नहीं होती हैं। यानि ओस या बारिश के समय स्प्रे का प्रयोग नहीं किया जाता। नैनो यूरिया का इस्तेमाल तब करें जब खेत में हल्की नमी हो। स्प्रे करने के तुरंत बाद फसल को पानी की आवश्यकता नहीं होती है। स्प्रे के 2 दिन बाद ही फसल की सिंचाई करनी चाहिए।

आपको बता दें नैनो यूरिया को हरित क्रांति के बाद कृषि क्रांति का अगला कदम माना जा रहा है और ये कहीं न कहीं भूरी क्रांति पर भी प्रभाव डालेगा। नैनो यूरिया लिक्विड का सबसे बड़ा लाभ यह है कि ये पर्यावरण, पानी और मिट्टी के अनुकूल है यानि इसके इस्तेमाल से कोई प्रदूषण नहीं होगा। आम भाषा में कहें तो किसानों को तो इसका फायदा होगा ही, साथ ही सबसे ज्यादा फायदा सरकार को होने वाला है क्योंकि नैनो यूरिया से सरकार को सीधे-सीधे सब्सिडी की बचत होगी।