कार्य शिक्षा
देश में जय जवान, जय किसान का नारा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया, जबकि अटल बिहारी वाजपेयी ने इस नारे में ‘जय विज्ञान’ को जोड़ दिया। देश में खेतीबाड़ी भी अब साइंस बन गई है। समय और श्रम की बचत के साथ-साथ कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए किसानों को नई तकनीक के उन्नत कृषि यंत्रों का उपयोग करना उनके लिए बहुत लाभकारी हो गया है। आधुनिक कृषि यंत्रों के जरिए खेती करने वाले किसान हर फसल में 30 फीसदी से अधिक उत्पादन कर सकते हैं।
आपको बता दें कृषि विभाग की ओर से कई योजनाओं में वितरित होने वाले कृषि यंत्रों जैसे ट्रैक्टर, रोटावेटर, सीडड्रिल मशीन और पंप सेट के खरीदने पर अनुदान यानि सब्सिडी मिलती है। और इस सब्सिडी के तहत किसान कृषि यंत्रों की खरीद के लिए निर्धारित आवेदन पत्र संबंधित खंड विकास अधिकारी, उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी के माध्यम से कृषि निदेशक के कार्यालय को भेजना होता है।
1-पावर टीलर भी एक बहुकार्यी कृषि यंत्र है। ये छोटे एवं मध्यम आकार के खेत वाले किसानों के लिए उपयुक्त है। पहाड़ी, ढालू जमीन और छोटे आकार के खेत के लिए ये कृषि यंत्र उपयोगी हैं। ये 6 इंच की गहराई में रोटावेटर की तरह मिट्टी की जुताई और महीनीकरण एक साथ करता है। इससे पहली जुताई से लेकर खरपतवार उन्मूलन, सिंचाई, कटाई, मड़ाई, सफाई तथा ढुलाई का काम लिया जाता है। इससे जुताई, बीज बुआई, पौध प्रतिरोपण, दवा छिड़काव तथा खाद्य प्रसंस्करण यंत्र जैसे क्लीनर कम ग्रेडर, तेल, आटा, चावल और दाल मिल और गन्ना पेराई यंत्र से जोड़कर आसानी से चलाया जाता है और इसे बेमौसम में भी जेनेरेटर से भी चलाया जा सकता है।
2-लैंड लेजर लेवलर- ये अत्याधुनिक अति शुद्धता के साथ लेजर किरण से नियंत्रित जमीन समतल करने वाला कृषि यंत्र है। ये पचास हॉर्सपावर से ऊपर वाले ट्रैक्टर से जुते खेत को समतल करता है, जिससे खेत में सभी पौधों को बराबर मात्रा में खाद, पानी, सूर्य की रोशनी और अन्य जरूरी चीजें मिलती हैं। इससे कृषि लागत की बचत तथा फसल की उत्पादकता बढ़ती है। इससे भूमि की बचत 10 से 15 फीसदी और पानी की बचत 15 से 25 फीसदी तक होती है। इसमें एक लेजर किरण छोड़ने वाला उपकरण, लेजर किरण को प्राप्त करने वाला यंत्र, वकट और स्क्रैपर तथा नियंत्रण वाक्स हाइड्रोलिक से नियंत्रित होने वाला यंत्र होता है।
3-ट्रैक्टर चलित समतल करने वाला यंत्र- ये ट्रैक्टर के पीछे लगता है और हाइड्रोलिक से नियंत्रित होता है। ये मिट्टी लेजर लेवेलर की तुलना में कम परिशुद्धता के साथ जमीन समतल करता है। वहीं मिट्टी पलट हल बैल चलित तथा ट्रैक्टर चलित हल होता है जो मिट्टी को एक तरफ पलटता है, जिससे गहरी जुताई के साथ-साथ मिट्टी का उपजाऊपन, खरपतवार उन्मूलन और कीड़ों द्वारा निर्मित छोटी नाली को खत्म करता है।
4-कल्टीवेटर- ये ट्रैक्टर चलित दूसरी जुताई करने वाला कृषि यंत्र है जो कि 9, 11, 13, 15 टांग वाली या फाल का होता है जो लोहे के एक फ्रेम से कई पंक्तियों में जुड़ा रहता है जो कि बीज बुआई के लिए मिट्टी के ढेलों को तोड़ता है। और खरपतवार को बाहर निकाकर बुआई के लिए सीड बेड बनाता है।
5-तावा वाला हल- ये ट्रैक्टर चलित पहली गहरी जुताई करने वाला यंत्र हैं। इसके इस्तेमाल से बीजों का अंकुरण, भूमि में सुधार, जमीन में पानी की नली बन्द करता है और खरपतवार रोग को नियंत्रित करता है इसका इस्तेमाल बंजर भूमि, सूखी भूमि के साथ घास वाली भूमि में किया जाता है। वहीं तावा वाला हैरो बैल चलित या ट्रैक्टर चलित दूसरी जुताई वाला कृषि यंत्र है। ये भी मिट्टी के बड़े-बड़े ढेलों को तोड़ता है और उन्हे बारिक करता है साथ ही ये भी खरपतवार को कम करता है।
6-उठी बेड बनाने वाला यंत्र- ये बैल चलित या ट्रैक्टर चलित यंत्र है। उठी बेड खरीफ मौसम में अरहर या अन्य सब्जी फसल लगाने के लिए उत्तम है क्योंकि जल जमाव के कारण फसल सूख जाती है। ये कृषि यंत्र कम समय के साथ ही साथ कम मेहनत में उठी बेड बनाता है। इससे 10-15 फीसदी कृषि लागत की बचत होती है और फसल की उत्पादकता भी 10-20 फीसदी बाद जाती है।
7-नाली बनाने वाला यंत्र- ये बैल चलित या ट्रैक्टर चलित यंत्र है जो खरीफ मौसम में जल निकास के लिए नाली बनाता है और इसका इस्तेमाल पंक्ति में लगी फसल पर मिट्टी चढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
8-गड्ढा खोदने वाला यंत्र- ये 30-35 हॉर्सपावर वाले ट्रैक्टर से चलित यंत्र है, जो एक घंटा में 3-4 फीट घेरा का और 3-4 फीट गहरा गड्ढा खोदता है। आपको बता दें बहुवर्षीय उद्यान फलीय पौधे के प्रतिरोपण और फल के पौधे गाड़ने के लिए गड्ढा बनाना आवश्यक होता है।
1-सीट कम फर्टीड्रिल- इसका इस्तेमाल पंक्तियों में निश्चित दूरी के साथ गहराई पर उर्वरक और बीज की बुआई कर अच्छा उत्पादन लेने के लिए किया जाता है। ये बैलों, पावर टिलर और ट्रैक्टर चलित तीनों प्रकार की निर्मित होती है। एक सर्वें के मुताबिक सीड-कम-फर्टीड्रिल से बुआई करने पर 15 से 20 फीसदी बीज की बचत होती है साथ ही 12 से 15 फीसदी फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है।
2-जीरोट्रिल फर्टीसीडड्रिल- इस यंत्र का इस्तेमाल धान की कटाई के बाद गेहूं की सीधी बुआई करने के लिए किया जाता है। इससे गेहूं की सीधी बुआई करने पर 1500-2000 रुपये प्रति एकड़ खर्च में बचत होती है और इसके इस्तेमाल से खरपतवार बहुत कम उगते हैं। इससे हरी फली के लिए मटर और मसूर की बुआई की जा सकती है।
3-ट्रैक्टर चलित आलू बुआई मशीन- ये यंत्र दो लाइन वाली आलू बोने के साथ-साथ मिट्टी चढ़ाने का काम एक बार में ही करती है। ट्रैक्टर चलित गन्ना बोने की मशीन दो लाइनों में गन्ने के टुकड़े काट कर नाली में स्वत: बोने वाली मशीन है।
4-चोंगा- इसका इस्तेमाल फर्टीड्रिल की अनुपलब्धता के दौरान किया जाता है। ये बीज उर्वरक की कूंडों में बुआई करने में सहायक है।
5-ट्रैक्टर चलित रोटा टिल ड्रिल- इसके माध्यम से एक ही बार में खेत की जुताई और बुआई दोनों एक साथ हो जाती है।
बहुउद्देशीय व्हील- इसका इस्तेमाल कई फसलों से खरपतवार निकालने के साथ ही निराई और गुड़ाई के लिए किया जाता है इससे मजदूरों की बचत के साथ ही साथ समय की बचत भी होती है।
1-दांतेदार हासिया यानि रीपर- फसल की जल्दी कटाई के उद्देश्य से रीपर का इस्तेमाल किया जाता है। ये ट्रैक्टर या पावर टिलर के साथ अटैच कर काम में लाए जाते हैं।
2-कंबाइन हारवेस्टर- धान और गेहूं दोनों फसलों की कटाई मड़ाई-ओसाई सब एक क्रम में एक बार में ही करके साफ दाना उपलब्ध हो इसके लिए इस यन्त्र का इस्तेमाल किया जाता है।
1-मल्टीक्राप थ्रेसर- कई फसलों की मड़ाई के लिए मल्टीक्राप थ्रेसर बहुत ही उपयोगी मशीन है, इससे गेहूं, जौ के अलावा अन्य फसलों की मड़ाई की जा सकती है। आपको बता दें पावर थ्रेसर आईएसआई युक्त ही क्रय करना चाहिए।
2-बेनोइंग फैन- इसका इस्तेमाल दाने को भूसे से अलग करने के लिए किया जाता
3-भूसा बनाने की मशीन- इसके जरिए कम्बाइन से गेहूं की कटाई के बाद भूसा बनाया जाता है।
4-छोटा हार्वेस्टर- खेतीबाड़ी में मजदूरों की कमी के चलते फसलों की कटाई के लिए छोटा हार्वेस्टर का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल ये ऐसी मशीन है, जिससे फसल कटाई, गहाई सब एक साथ जल्दी-जल्दी हो जाती है और हमें सीधा अनाज मिलता है। लेकिन बड़े हार्वेस्टर 15 से 20 लाख रुपए के आते हैं और एक मध्यमवर्गीय किसान के लिए उसे लेना संभव नहीं होता, इसलिए वैज्ञानिकों ने छोटा हार्वेस्टर विकसित किया है। इसे हर किसान खरीद सकता है। इसकी कीमत 2 से 3 लाख रुपए तक है और इसे रखने के लिए एक बाइक बराबर जगह की जरूरत पड़ती है
5-रोटावेटर- इस यंत्र का काम है मिट्टी को पलटना यानि जब हार्वेस्टर या मजदूरों द्वारा फसल को कटवाया जाता है तो नीचे की फसल का भाग बच जाता है, इसे साफ करने के लिए किसान खेतों में आग लगाता है, जिससे कई नुकसान होते हैं जैसे- पर्यावरण प्रदूषण, दूसरे की फसलों में आग लग जाना, जंगलों में आग लगना, किसी का घर जल जाना, और सबसे बड़ी हानि स्वयं किसान को ही होती है। इससे मिट्टी का उपजाऊपन कम होता है। हां रोटीवेटर से यह सब नहीं होता। इसे ट्रेक्टर में फंसाकर चलाने से खेत का कचरा मिट्टी के नीचे चला जाता है और एक साल बाद दबे-दबे खाद में बदल जाता है, इससे खेत की उर्वरा क्षमता भी बढती है।
6-प्लेन रोटावेटर- ये यन्त्र खरीफ की पिछली फसल अवशेषों को पूरी तरह से नष्ट करने के साथ ही साथ पडलिंग और हरी खाद की फसलों को खेत में मिलाने का काम भी अच्छी तरह से करता है। ये मिट्टी में 6 इंच गहराई तक पहुंच कर फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाता है। इसके जरिए दबाए गए फसल अवशेष मिट्टी में मिलकर धीरे-धीरे खाद में तब्दील हो जाते हैं। इससे खेत की उर्वरा शक्ति भी बढती है और नमी के संरक्षण में भी मदद मिलती है, इस यंत्र की कीमत बाजार में 70-80 हजार रुपये तक है।
आपको बता दें देश में कृषि का इतिहास जितना पुराना है उतना ही कृषि यंत्रों का भी इतिहास पुराना है। दरअसल खेतों को तैयार करने, जोतने, बोने, फसल काटने आदि के लिए शुरू से ही किसानों को उपकरणों की जरूरत पड़ती रही है। बता दें शुरूआती दौर में पहले औजार लकड़ी पत्थर या हड्डी के रहे होंगे। लेकिन धातु के आविष्कार के बाद पत्थर और हड्डी की जगह धातु ने ले ली और लकड़ी के हल में भी लोहे के फाल लगने और अठारहवीं शताब्दी में उद्योगों में यंत्रीकरण के बाद कृषि क्षेत्र में भी लोगों का ध्यान इस ओर गया और धीरे-धीरे कृषि उपकरण बनते गए। 20वीं शताब्दी में हलों में पर्याप्त सुधार किए गए, जिनके कारण हलों पर भार घट गया। कोल्टर्स के उपयोग के कारण हलों में खरपतवार भी कम फंसती हैं और ये आसानी से चलते भी हैं। अब रबर के पहिए के कारण कृषि यंत्रों और ट्रैक्टरों द्वारा भार के खिंचाव में सुविधा हो गई है।
आपको बता दें देश में बढ़ती आबादी के साथ-साथ अन्य उत्पादन में और बढ़ोत्तरी की आवश्यकता है। कुल मिलाकर महंगी होती खेती और बदलते जमाने के अनुरूप बदल रहे कृषि यंत्रों और उनकी प्रणालियों के महत्व को किसानों को समझना होगा। इन आधुनिक यंत्रों के प्रयोग से किसान कम लागत में अधिक उपज आसानी से पा सकते हैं। उन्नतशील कृषि यंत्र और मशीनरी कृषि उत्पादन का एक महत्वपूर्ण कृषि निवेश है।