फलों के उत्पादन में देश का स्थान पूरी दुनिया में दूसरा है। देश में बागवानी की ओर किसानों का रूझान तेजी से बढ़ रहा है। बागवानी के प्रति किसानों के रूझान को देखते हुए ICAR पूसा नई दिल्ली के कृषि वैज्ञानिक किसानों को हाई वेल्यू फलों की खेती की सलाह दे रहे हैं। और उन्ही में एक है थाई एप्पल बेर। जी हां, यदि आप थाई एप्पल बेर की बागवानी करेंगे तो छप्पर फाड़ कमाई होगी। क्योंकि इसकी बागवानी में कम लागत के साथ मेहनत भी कम करनी पड़ती है। इसकी बागवानी में सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें देखभाल की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है और पैदावार भी अच्छी होती है। साथ ही किसान जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के साथ पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि ये सब कैसे होगा तो हम आपको बता रहे हैं कि थाई एप्पल बेर की खेती कैसे और कब करें।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक थाई एप्पल बेर मौसमी फल है और दिखने में कच्चे सेब के जैसा होता है। ये बेर चमकदार और सेब के आकार का होता है। इसकी खास बात ये है कि ये खाने में बेर और सेब दोनों का मिलाजुला स्वाद देता है। इसकी प्रजाति थाईलैंड से आती है इसलिए इसे थाई-बेर-एप्पल कहा जाता है। थाईलैंड में इसको जुजुबी के नाम से भी जाना जाता है। जबकि भारत में इसे थाई एप्पल बेर के नाम से जाना जाता है। इसमें कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। जिसके चलते बाजार में इसकी भारी मांग है देश में इसकी बागवानी जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक खूब की जा रही है और इसके एक पेड़ से हर साल 40-50 किलो फल आसानी से लिए जा सकते हैं । इसे देश में बेर या चीनी खजूर के नाम से भी जाना जाता है। छोटे किसान जिनके पास खेतीहर भूमि कम है वो सीमांत और लघु किसान अच्छी आमदनी के लिए थाई एप्पल बेर की बागवानी लगाकर हर साल अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक वैसे तो थाई एप्पल बेर देश के किसानों के लिए नई फसल है, मगर इसकी बागवानी कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। थाई एप्पल बेर बहुत ही उपयोगी झाड़ीनुमादार पेड़ है। इसकी पत्तियां, लकड़ी, जड़ें और फल सभी बहुत उपयोगी हैं। दरअसल इसकी पत्तियों का उपयोग पशुओं के लिए प्रोटीन युक्त चारे के तौर पर किया जाता है। और इसकी लकड़ियां ईंधन के काम आती हैं जबकि इसकी जड़ें मिट्टी की उर्रवरा शक्ति को बढ़ाती हैं। इसके बड़े फल हर साल अच्छा मुनाफा देते हैं। इसलिए इसे ‘किसानों का सेब’ भी कहा जाता है। इसमें मार्च और अक्टूबर में दो बार फूल लगते हैं। किसान चाहें तो एक साल में दो बार इसके पौधों से फल ले सकते हैं। इसके पौधे में कांटे नहीं लगते इसलिए इसकी तुड़ाई करना आसान होता है।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक थाई एप्पल बेर की बागवानी लंबे समय के लिए इंवेस्टमेंट है। इसकी खासियत ये है कि एक बार पौधे की शुरुआत होने के बाद आराम से इससे 15 से 20 साल तक फल प्राप्त किये जा सकते हैं और 1 एकड़ में 500 पौधों का रोपड़ किया जा सकता है। इसके एक पेड़ से लगभग 125 किलो तक का फल लिए जा सकते हैं। वहीं अगर आपके पास 500 पेड़ हैं और उत्पादन 100 किलो प्रति पेड़ भी होता है तो कुल 50 टन फल एक एकड़ से प्राप्त किये जा सकते हैं । आपको बता दें थाई एप्पल बेर की बाजार में कीमत 1 किलो की 100-150 रुपये किलो तक है और किसानों को आसानी से 50 से 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से आमदनी हो जाती है।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक थाई एप्पल बेर के पौधे का कोई बीज नहीं होता है। बल्कि इसकी बागवानी गराफ्टिंग विधि से की जाती है। नर्सरी में थाई एप्पल बेर के पौधे की किमत लगभग 30-40 रुपये के होती है । अधिक नमी वाले इलाकों में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए। आपको बता दें गराफ्टिंग विधि से तैयार ये पेड़ हाइब्रिड प्रजाति के होते हैं, जिसकी जड़ देशी और तना हाइब्रिड होता है। थाई एप्पल बेर की बागवानी के लिए प्रमुख रूप से सबसे अच्छा मौसम जून से अगस्त और दिसंबर से मार्च तक का रहता है। थाई एप्पल बेर का पेड़ एक बार लगाने के बाद 20 सालों तक फल देता है। शुरुआत में एक पेड़ से 30 से 40 किलो तक उत्पादन मिलता है।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक थाई एप्पल बेर का पेड़ तेजी से विकास करता है यह पहले ही साल में सात से दस फिट तक बढ़ जाता है और दिसंबर के महीने में इस पर फल भी आने शुरू हो जाते हैं। ये अब तक का सबसे तेज विकास करने वाला पौधा है। इसमें पहले ही वर्ष में 20 से 25 किलो तक फल आ जाते हैं । ये बेहद कमाई वाला पौधा है।
थाई एप्पल बेर प्रमुख रूप से उच्च व्यवसायिक बाजार मूल्य वाली फसल है । जिसका मार्केट में अधिक पैसा मिलता है। थाई एप्पल बेर की बागवानी के लिए आम तौर पर सभी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। लेकिन बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जीवांश की मात्रा अधिक हो वह सबसे अच्छी होती है। हालांकि हल्की क्षारीय और लवणीय मिट्टी में भी इसके पेड़ लग जाते हैं। इसमें कम पानी और सूखे से लड़ने की विशेष क्षमता होती है। ये मजबूत जड़तत्र वाला पौधा है। ऐसे में कम पानी में भी ये अच्छी तरह विकास करता है और फल देता है। थाई एप्पल बेर की बागवानी के लिए 0 से 50 डिग्री से. तक तापमान और 5 से 9 पीएच मान्य की आवश्यकता होती है। थाई एप्पल बेर की बागवानी करने के लिए सबसे पहले किसानों को खेत से खरपतवार हटाकर मिट्टी पलटने वाले यंत्र से गहरी जुताई करनी चाहिए इसके बाद पर्याप्त मात्रा में गोबर डालकर रोटावेटर से दोबारा जुताई करानी चाहिए उसके बाद 12 फुट की दूरी पर 3 फीट गहरे और 3 फीट चौड़े गड्ढे खोदने चाहिए। गड्ढे में 50 से 60 किलो के करीब गोबर की खाद मिट्टी मिलाकर भरनी चाहिए और करीब 20 से 25 दिन बाद पौधों की रोपाई कर हल्का पानी डालकर मिट्टी को चारों तरफ से दबा देना चाहिए।
थाई एप्पल बेर देश के बाजारों में छाया हुआ है। थाई एप्पल बेर की उन्नत किस्मों के बारे में बात करें तो गोला, सेव, उमरान, थाई एप्पल बेर, रेड थाई एप्पल, वाटर ग्रीन- रेड एप्पल, ग्रीनथाई एप्पल बेर पूर्णत: जैविक विधि पर आधारित पौधा है जिसे हाई लेब टेक्नीक जैनेटिक बायो प्लान्ट सिस्टम के माध्यम से तैयार किया गया है। थाई एप्पल बेर में देशी खाद, सुपर खाद, सुपर फास्फेट और म्यूरेट ऑफ पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा जुलाई के महीने में मिट्टी में अच्छी तरह मिलाकर सिंचाई कर देना चाहिए। बाकी बची नाइट्रोजन की आधी मात्रा नवंबर के महीने में फल लगने के बाद देनी चाहिए। वहीं सिंचाई की बात करें तो इसकी सिंचाई पौधे की रोपाई के समय शुरूआत में 2 दिन के अंतराल में करना चाहिए। इसके बाद तीन महीने के अतंराल पर 5 दिन में एक बार 7 लीटर पानी देना चाहिए। इसके कीट-रोग की बात करें तो थाई एप्पल बेर की खूबी है कि इसमें कोई रोग नहीं लगता है और कीट-पतंगों का प्रकोप नहीं रहता हैं सिर्फ फल मक्खी ही लगती हैं जिनका उपाय करना बेहद आसान है।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक यदि किसानों के पास खेतीहर भूमि कम हो और पूरे परिवार का पालन पोषण खेती की आमदनी पर निर्भर हो तो ऐसे किसानों को परंपरागत खेती छोड़कर थाई एप्पल बेर की बागवानी करना चाहिए। वहीं इसके मार्केट की बात करें तो इस फल की डिमांड बहुत ज्यादा है। थाई एप्पल बेर को जैम,जेली, बियर,दवाइयों के इस्तेमाल में लिया जाता है और बड़े शहरों में इसके बहुत अच्छे दाम मिल जाते हैं और अगर आप इसका उत्पादन बड़े स्तर पर करते हैं तो व्यापारी सीधे आपके स्थान से इसे खरीद लेते हैं।