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कम जगह में अधिक उपज के लिए करें आम- अमरूद की हाई डेंसिटी बागवानी

खेती-किसानी में बागवानी एक ऐसा एरिया है जिसमें किसान सीमित जमीन से भी अधिक लाभ कमा सकते हैं। बागवानी से ज्यादा मुनाफा मिले उसके लिए किसानों को सघन बागवानी यानि हाई डेंसिटी बागवानी को अपनाना चाहिए। बागवानी में हाई डेंसिटी सिस्टम एक ऐसी तकनीक है जिसमें प्रति इकाई क्षेत्रफल में अधिक फलदार पौधों का रोपण कर उससे लगातार कई सालों तक क्वालिटी वाला फल लिया जा सकता है।

कृषि विज्ञान केन्द्र बहराइच उत्तर प्रदेश के हेड और सब्जी एवं बागवानी विशेषज्ञ डॉ बी.पी. शाही ने बताया कि हाई डेंसिटी बागवानी में बौनी किस्में लगाई जाती हैं ताकि प्रति इकाई क्षेत्रफल में अधिक से अधिक पौधे लगाए जा सकें। जिससे सामान्य बागवानी की तुलना में उतने ही क्षेत्र में आम-अमरूद की बागवानी कर तीन से चार गुना तक किसान उत्पादन ले सके।

हाईडेंसिटी आम - अमरूद के लिए बेहतर किस्में

डॉ शाही ने बताया कि हाई डेंसिटी बागवानी में किस्मों का चुनाव सबसे जरूरी पहलू होता है। उन्होंने कहा, दरअसल इस विधि में बौनी किस्मों का चुनाव किया जाता है। आम की हाई डेंसिटी बागवानी के लिए अरूणिका, आम्रपाली जैसी किस्में सबसे अच्छी मानी जाती हैं। वहीं अमरूद की हाई डेंसिटी बागवानी के लिए आप ललित, इलाहाबाद सफेदा, लखनऊ-49 जैसी किस्मों का चयन कर सकते हैं और अमरूद व आम की सघन बागवानी से बंपर उपज ले सकते हैं।

आम की हाई डेंसिटी बागवानी

बागवानी विशेषज्ञ के अनुसार, आम की साधारण बागवानी में पौधे से पौधे की दूरी 10 मीटर के करीब रखी जाती है, जिसमें प्रति हेक्टेयर तकरीबन 100 पौधे लगते हैं। वहीं आम्रपाली आम की सघन बागवानी करते समय पौधे से पौधे की बीच की दूरी ढाई से तीन मीटर रखते हैं और इस तरह एक हेक्टेयर में 1333 पौधे लगते हैं। आम्रपाली के अलावा अन्य किस्म के पौधे 5 बाई 5 मीटर की दूरी पर लगाए जाते हैं। और इस तरीके से एक हेक्टेयर में लगभग 400 पौधे लगते हैं। वहीं उन्होंने बताया कि अगर कोई किसान अमरूद की सघन बागवानी करना चाहता है तो अमरूद के पौधों को 3 बाई 3 मीटर की दूरी पर लगाएं। इस तरह से पौधों का रोपण करने पर एक हेक्टेयर में 1111 पौधे लगेंगे।

आम-अमरूद के हाइ डेंसिटी बागों का प्रबंधन

डॉ बीपी शाही ने बताया कि रोपाई के कुछ समय बाद अमरूद के पौधे को सबसे पहले 70 सेंटीमीटर की ऊंचाई से काट दें। उसके बाद दो-तीन महीने में पौध से चार-छह मजबूत डालियां विकसित होती हैं, अमरूद के पौधे में निकलने वाले नए कल्लों में फल लगते हैं। पौध में नए कल्लों का विकास जरूरी होता है। इसके लिए अमरूद के पौधों की साल में तीन बार कटाई-छंटाई की जाती है। पहली कटाई बाग लगाने के चार-पांच महीने बाद अक्टूबर में की जाती है जिसमें तीन-चार टहनियों को चुनकर उसे 50 फीसदी तक काट दिया जाता है। टहनियों के कटे भाग पर बोर्डो पेस्ट जरूर लगाना चाहिए। दूसरी कटाई फरवरी में और तीसरी कटाई मई-जून में करनी चाहिए। दो वर्षों तक कटाई-छंटाई कर पौधों की संरचना का विकास किया जाता है। इसके बाद तीसरे वर्ष से पौधे फल देना शुरू कर देते हैं। वहीं उन्होंने कहा कि आम की हाई डेंसिटी बागवानी में पौधे को जमीन से 60-70 सेंटीमीटर ऊंचाई से कटिंग अक्टूबर-दिसम्बर के महीने में कर देनी चाहिए। कटिंग के बाद मार्च-अप्रैल में तने निकलते है। मई के महीने में चार तनों को चारों दिशाओं में रखकर बाकी सभी को काटकर हटा दें। फिर इन चार तनों की अक्टूबर-नवंबर में दोबारा से कटाई-छंटाई की जाती है। इस तरह कटाई-छंटाई करके पेड़ के चारों तरफ 3-4 शाखाओं को लगातार बढ़ने देते हैं।

कटाई और छंटाई की देखभाल

बागवानी विशेषज्ञ ने बताया कि हर साल हाई डेंसिटी बागवानी के लिए पौधे का आकार छोटा रखने के लिए समय-समय पर कटाई और छंटाई की जरूरत होती है। ताकि पौधे में नई शाखाएं न उगें और वह ज्यादा से ज्यादा फल दे सके। इस विधि में 2 क्यारियों के बीच की खाली जमीन पर सूरन और पत्ता गोभी लगाकर किसान इससे लाभ कमा सकते हैं।

आम और अमरूद की बम्पर पैदावार

अमरूद एक ऐसा पौधा है, जिससे साल में तीन बार बरसात, सर्दी और बसंत में फलों का उत्पादन लिया जा सकता है। अमरूद की परंपरागत बागवानी में भी हाई डेंसिटी की तरह ही 3 साल में फल लगने लगते हैं, लेकिन हाईडेंसिटी में तीसरे साल से ही परंपरागत बागवानी की तुलना में दोगुनी उपज मिलने लगती है। परंपरागत तरीके से अमरूद की बागवानी करने पर प्रति हेक्टेयर जहां 15 से 20 टन उपज मिलती है वहीं सघन बागवानी में अमरूद का उत्पादन 30-50 टन प्रति हेक्टेयर तक हो जाता है। आम की सामान्य बागवानी में प्रति हेक्टेयर 7 से 8 टन तक उत्पादन मिलता है वहीं सघन बागवानी से ये उत्पादन बढ़कर 15 से 18 टन तक हो जाता है।

मई – जून में बागवानी के लिए करें गढ्ढे की खुदाई और भराई का काम

डॉ बीपी शाही ने कहा अगर किसान समय के साथ नई तकनीक और बेहतर विधियों को अपनाकर आम-अमरूद की हाई डेंसिटी प्लांटिंग करेंगे, तो आपको प्रति ईकाई क्षेत्रफल से अधिक उपज मिल जाती है। उन्होंने कहा, अगर किसान को हाई डेंसिटी की बागवानी करनी है तो किसानों को सही स्थान का चयन कर ले आऊट करके गढ्ढे की खुदाई और भराई का काम 15 जून के पहले पूरा कर लेना चाहिए। इसके बाद अच्छी नर्सरी या उद्यान विभाग से आम–अमरूद की सही किस्मों का चयन कर जुलाई और अगस्त में पौध रोपण के कार्य को पूरा कर लेना चाहिए ।

प्रगतिशील किसान को मिल रहा अधिक मुनाफा

हाई डेंसिटी से अमरूद की बागवानी कर रहे गांव चौरा खुर्द जिला सहारनपुर के प्रगतिशील किसान महक सिंह ने बताया कि, उन्होंने हाई डेंसिटी तकनीक से दो हेक्टेयर में अमरूद की बागवानी की जिसमें ललित और लखनऊ -49 किस्मों को रोपित किया था । उन्होंने बताया कि हाई डेसिंटी अमरूद की बागवानी में पहले साल से ही उन्हें अमरूद के पौधे से फल मिलने लगे थे और चार से पांच साल बाद एक हेक्टेयर के बाग से उन्हें 30 से 40 टन की उपज मिल जाती थी। महक सिंह ने कहा कि हाई डेंसिटी में उन्हें बस समय समय पर पौधे की कटाई -छंटाई करनी पड़ती है जिससे नये कल्ले निकलते हैं, उन्हीं कल्लों से बहुत अच्छी फसल मिलती है । दूसरी कटाई छंटाई करने से सूरज की रोशनी पौधे के नीचे तक जाती है जिससे कि कीट और रोग का प्रकोप कम होता है।

डॉ बीपी शाही ने कहा, बढ़ती आबादी और घटती जमीन के बीच हाई डेंसिटी बागवानी प्रणाली अपनाकर किसान कम जमीन में अच्छी पैदावार ले सकते हैं। यह किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है।