यह तो सर्वविदित ही है कि आज के इस वैज्ञानिक व प्रतिस्पर्धात्मक युग में विद्यालयों में दी जाने वाली सैद्धान्तिक शिक्षा कितनी उपयोगी सिद्ध हुई है। जो ज्ञान हमारे जीवन का एक अंग नहीं बन सकता, वह निश्चय ही निरर्थक व त्याज्य है। वास्तव में जो ज्ञान स्वानुभवों पर आधारित है, जिसका प्रयोग हम अपने दैनिक जीवन में कर सकें, वही ज्ञान हमारे जीवन का अंग बन सकता है। यह एक प्रमाणिक तथ्य है कि विद्यालयों में दी जाने वाली सैद्धान्तिक शिक्षा के आधार पर हम स्वयं को साक्षर तो कह सकते हैं, परन्तु वर्तमान सन्दर्भ में यह शिक्षा रोजगार उपलब्ध कराने में पूर्णतः असफल सिद्ध हुई है। दूसरी ओर व्यावसायिक शिक्षा द्वारा अर्जित ज्ञान स्वानुभवों तथा व्यावहारिक होने के कारण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन जाता है। आज यदि एक साधारण ग्रेजुएट डिग्री धारक युवा तथा एक व्यावसायिक डिग्री अथवा डिप्लोमा धारक युवा किसी एक पद हेतु आवेदन प्रस्तुत करता है तो निश्चय ही व्यावसायिक ज्ञान प्राप्त व्यक्ति को ही प्राथमिकता दी जाएगी।