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दूध में मिलावट की जांच के लिए एनडीआरआई ने विकसित की सस्ती तकनीक

दूध पीना सेहत के लिए कितना फायदेमंद होता है, ये तो सभी जानते हैं। लेकिन किसी को पता नहीं होता कि कब ये दूध अमृत के बजाय जहर बनकर आपके सामने आ जाए। कई मिलावटखोर अधिक मुनाफा कमाने के लिए दूध में ठोस पदार्थ यानि फैट को बढ़ाने के लिए डिटरजेंट, यूरिया और सिंथेटिक स्टार्च समेत कई अन्य चीजों की मिलावट करते हैं। जो सेहत के लिए काफी खतरनाक होते हैं। दूध में मिलावट की जांच ग्राहक अपने स्तर पर नहीं कर पाते हैं, मिलावटखोर इसी बात का फायदा उठाते हैं, जिससे लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता है। नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनडीआरआई) करनाल ने एक ऐसा मिल्क टेस्टिंग किट बनाया है जो काफी सस्ता है। इसके माध्यम से बहुत कम समय में दूध में मिलावट का पता लगाया जा सकता है।

दूध में पानी मिलाने का तरीका काफी पुराना है । लैक्टोमीटर से आप दूध में पानी की मिलावट की जांच कर सकते हैं। लेकिन अब दूध से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए दूध में एसएनएफ बढ़ाने और नकली दूध बनाने के भी नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिसे सिंथेटिक दूध कहते हैं। इस तरह के दूध को बनाने के लिए यूरिया, ग्लूकोज और डिटर्जेंट पाउडर, रिफाइंड तेल, स्टार्च आदि मिलाया जाता है। इस सिंथेटिक दूध को असली दूध के साथ मिलाया जाता है ताकि यह बिलकुल असली दूध जैसा हो जाए। इन दिनों खोया और पनीर अधिक मात्रा में सिंथेटिक दूध से तैयार किया जाता है, जिसकी त्यौहारों में सप्लाई की जाती है।

दूध की अम्लता यानि खट्टापन को छिपाने के लिए इसमें न्यूट्रालाइजर मिलाते हैं। इसी तरह दूध में एसएनएफ बढ़ाने के लिए चीनी की मात्रा मिलाई जाती है। दूध की सेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए हाइड्रोजन परऑक्साइड मिलाया जाता है, जो भारतीय खाद्य सुऱक्षा मानक एवं मानक प्राधिकरण द्वारा प्रतिबंधित है। दूध में रासायनिक मिलावट औऱ हानिकारक तत्वों की जांच करने वाली मशीनों की कीमत 5 लाख से 80 लाख तक होती है। यही कारण है कि सिर्फ चुनिंदा लैब में ही दूध की क्वालिटी जांच की जाती है। दूध जांच के सबसे पुराने तरीकों में एक केमिकल टेस्टिंग के लिए काफी स्किल की जरूरत होती है और इसे हर कोई नहीं कर सकता है ।

दूध में मिलावट के लिए एक ऐसी तकनीक की जरूरत थी, जो न केवल सस्ती हो, बल्कि कोई भी इसका इस्तेमाल बिना किसी परेशानी के कर सके। एनडीआरआई करनाल ने एक दूध परीक्षण किट विकसित की है, जो काफी सस्ती है और बहुत कम समय में दूध में मिलावट का पता लगा सकती है। स्ट्रिप की मदद से दूध में यूरिया, स्टार्टर, डिटर्जेंट पाउडर, ग्लूकोज न्यूट्रलाइजर, रिफाइंड तेल और हाइड्रोजन परऑक्साइड की मात्रा की जांच की जा सकती है। मिलावट की जांच के लिए संस्थान ने आठ तरह की स्ट्रिप विकसित की है। स्ट्रिप को दूध में डुबोया जाता है। इससे सिर्फ 8-10 मिनट में दूध में मिलावट की जांच की जा सकती है।

हर मिलावटी तत्व के लिए अलग स्ट्रिप होती है। दूध में मिलावट हो तो स्ट्रिप का रंग बदल जाता है, जिसके आधार पर पता लगाया जा सकता है कि दूध में कितनी मिलावट है। दूध में फैट प्रतिशत बढ़ाने के लिए वनस्पति तेल मिलाया जाता है, लेकिन वनस्पति तेल दूध में नहीं घुल सकता है। इसे दूध में मिलाने के लिए डिटर्जेंट पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है। दूध में अगर डिटर्जेंट पाउडर मिलाया गया है तो स्ट्रिप का रंग नीला हो जाता है।

दूध में यूरिया का पता लगाने के लिए एक पीले कागज की स्ट्रिप विकसित की गई है। इसे दूध में डुबोया जाता है। अगर दूध में यूरिया का मिलावट है तो पीली स्ट्रिप लाल रंग की हो जाती है। अगर दूध में यूरिया की मिलावट नही है तो स्ट्रिप गुलाबी या पीले रंग की हो जाती है । इसका परिणाम तीन मिनट में आ जाता है।

मिलावटी दूध में ग्लूकोज और चीनी मिलाने से एसएनएफ की मात्रा बढ़ जाती है। इसका परीक्षण करने के लिए स्ट्रिप को दूध में डुबोने के दस मिनट बाद चेक किया जाता है। अगर स्ट्रिप का रंग लाल हो जाए तो दूध में ग्लूकोज और चीनी की मिलावट है। मिलावट नहीं तो स्ट्रिप सफेद रहती है। इससे खोआ, दही में ग्लूकोज और चीनी के मिलावट की जांच की जा सकती है।

दूध में मिलावट करने वाले दूध की अम्लता यानि खट्ठापन छिपाने और दूध की सेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए न्यूट्रालाइजर, जैसे सोडियम हाइड्रोआक्साइड , सोडियम कार्बोनेट और सोडियम बाईकार्बोनेट मिलाते हैं,जो एफएसएसएआई द्वारा प्रतिबंधित है। दूध में न्यूट्रालाइजर का पता लगाने के लिए एक स्ट्रिप विकसित की गई है। अगर दूध में न्यूट्रालाइजर मिलाया गया हैतो , स्ट्रिप का रंग पीला और गहरा हरा हो जाता है, अन्य़था हल्का हरा रंग का दिखता है।इसका सबसे बड़ा फायदा दूध संग्रह केंद्रों पर है जहां किसान पांच से 10 लीटर दूध लेकर आते हैं। उन जगहों पर इस स्ट्रिप के माध्यम से दूध की गुणवत्ता की जांच कर सकते हैं। इसका उपयोग बड़े डेयरी फार्मों पर भी किया जा सकता है। इसके लिए लैब की जरूरत नहीं है। इससे दूध की गुणवत्ता जांचना और उपभोक्ताओं तक शुद्ध दूध पहुंचाना बेहद आसान है।

देश की डेयरी कंपनियां अपने दूध की गुणवत्ता की जांच के लिए इस स्ट्रिप का उपयोग कर रही हैं। इससे दूध में मिलावट करने वाले बिचौलियों पर अंकुश लग सकते है। इस स्ट्रिप से सभी आठों जांच करने में महज 10 से 12 रुपये का खर्च आता है। सभी जांच 8 से 10 मिनट में ही पूरी कर ली जाती हैं।

इस तरह से काफी कम कीमत में दूध परीक्षण कीट का इस्तेमाल कर दूध की जांच की जा सकती है।