ऊर्जा किसी भी देश के विकास का इंजन होती है। किसी देश में प्रति व्यक्ति होने वाली ऊर्जा की खपत वहाँ के जीवन स्तर का भी सूचक है। यही नहीं, आर्थिक विकास का भी ऊर्जा उपयोग के साथ मज़बूत संबंध होता है, इसलिये भारत जैसी तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिये ऊर्जा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बहुत ज़रूरी है। इसमें दो राय नहीं कि तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या के भरण-पोषण और सुख-सुविधाओं के लिये संसाधनों का तेज़ी से ह्रास हो रहा है। लेकिन इससे पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्याओं का जन्म हो रहा है। इसीलिये अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने, पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन और कोयले पर निर्भरता कम करने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत जैसे-सौर-ऊर्जा ,बॉयो-ईधन और पवन-ऊर्जा क्षमता को बेहतरीन निदान के रूप में देखा जा सकता है।