देश में कृषि क्षेत्र को एक प्रमुख स्थान दिया गया है और कई राज्यों के लाखों किसानों की जीविका खेताबाड़ी पर निर्भर है। किसानों की खेतीबाड़ी से ही आम जनता का पेट भरता है। वहीं कृषि क्षेत्र में बढ़ती समस्याओं और...अनिश्चितताओं के बीच डिजिटल खेती को एक बेहतर विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। कई राज्यों में किसानों का रुझान डिजिटल खेती की ओर बढ़ रहा है। कृषि वैज्ञानिक स्मार्ट फोन सेंसर से कृषि तकनीक की जानकारी दे रहें हैं। दरअसल डिजिटल खेती में बुवाई से लेकर कटाई तक की प्रक्रिया को बढ़ावा देने समेत लगभग हर जानकारियां शामिल हैं। बता दें हाल ही में एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्मार्ट खेती बाजार के 2022 तक 1.64 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को छूने की उम्मीद हैं। इतना ही नहीं स्मार्ट खेती से 2017 से 2022 तक लगभग 20 प्रतिशत की वार्षिक बढ़ोत्तरी दर भी देखी जा रही है।
बता दें स्मार्ट खेती के लिए स्मार्ट फोन सेंसर की क्यों जरूरत है। दरअसल खेतीबाड़ी के लिए नई प्रौद्योगिकी और...डिजिटलीकरण का लाभ एक अनुमान से अधिक है। इससे मिट्टी की घटती उर्वरता के साथ ही साथ खादों और कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल जैसी समस्याओं से निजात मिल सकती है और कृषि में संसाधनों की भी बचत होती है
वहीं आज स्मार्ट खेती की नई तकनीक आधारित प्रबंधन से किसानों के समय के साथ ही साथ खेती की अनिश्चितताओं को भी कम किया है। और सटीक कृषि तकनीक और नई टेक्नॉलॉजी से पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए कम लागत में खाद्यान की अच्छी पैदावार की जा सकती है। इसके लिए मिट्टी और आसपास की हवा के तापमान और उसके नमी यानि आर्द्रता को मांपने के लिए पूरे क्षेत्र में सेंसर लगाया जाता है। और इस सेंसर के माध्यम से वास्तिक समय का डेटा यानी व्यक्तिगत जानकारियों को इकठ्ठा कर इसका प्रोसेस यानी संचालन करते हैं। जिससे कि किसानों को उनके फसलों की बुवाई, खाद और कटाई के संबंध में सटीक जानकारियां मिल सके। साथ ही आपको बता दें आज देश और दुनिया की हर तकनीक स्मार्टफोन से जुड़ चुकी है। स्मार्टफोन ने लोगों के जीवन को काफी आसान बना दिया है।
किसान खेतीबाड़ी के लिए खेतों की सिंचाई और उर्वरक के इस्तेमाल में कैसे स्मार्ट फोन सेंसर की मदद ले सकते हैं। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के एग्रीकल्चर फिजिक्स के वैज्ञानिक डॉ. राजकुमार धाकर के बताते हैं। कि बदलते परिवेश में किसानों के लिए स्मार्टफोन खेती के लिए भी काफी कारगर है। किसान अपने स्मार्टफोन में इसके डेटाबेस यानी सूचना-सामग्री को अपलोड कर सकते हैं। जहां पर कोई विशेषज्ञ रंग और अन्य गुणों के आधार पर अपनी फसल की परिपक्वता का सटीक आंकलन कर सकते हैं। अगर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है तो किसान सेंसर डेटा के विकल्प के माध्यम से इसकी जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं। आपको बता दें स्मार्ट फोन सेंसर के माध्यम से किसान मशीनों से अपने खेतों नियंत्रित सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन, कीटनाशक, फसल प्रजनन और आनुवंशिक अनुसंधान की सुविधा आसान बना सकते हैं। और इन उपकरणों से कृषि की लागत में 25 प्रतिशत की कमी और उत्पादकता में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना होती है इसलिए आप स्मार्ट रहिए और स्मार्ट खेती कीजिए।