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विदेशी सब्जी जुकिनी उगाएं खूब कमाएं

खेतीबाड़ी में व्यापार का एक बड़ा बाजार विदेशी सब्जियों का खड़ा हो चुका है। पूरी दुनिया के पर्यटन नक्शे पर देश की प्रमुखता इस व्यवसाय के विस्तार की एक खास वजह मानी जा रही है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हो या पंजाब, हिमाचल प्रदेश और बिहार तक के किसान विदेशी प्रजातियों वाली सब्जियां उगाकर बंपर कमाई कर रहे हैं। यहां तक कि राजधानी दिल्ली हो या मायानगरी मुंबई की सब्जी मार्केट के अलावा देश के ज्यादातर पांच सितारा होटलों के साथ देशी-विदेशी शैलानियों के अन्य रिहायशी ठिकानों में भी इनकी डिमांड बढ़ती जा रही है। और इन्ही विदेशी सब्जियों में से एक है जुकिनी यानि चप्पन कद्दू, जिसकी खेती से किसान लाखों की कमाई कर सकते हैं। हम आपको बताते हैं कि कैसे आप विदेशी सब्जी जुकिनी की खेती से अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।

जुकिनी सब्जी है क्या

जुकिनी एक तरह की सब्जी है, ये कद्दू की प्रजाति से संबंध रखती है। इसे देश में चप्पन कद्दू के नाम से भी जाना जाता है। इसमें पाये जाने वाले पौष्टिक तत्व हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी होते हैं। इसके अलावा इसमें पाये जाने वाले औषधीय गुण हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। जुकिनी में विटामिन ए, सी, के, बी-6,पोटैशियम, फाइबर, फोलेट, मैग्नीशियम, राइबोफ्लेविन, एंटीऑक्सीडेंट्स के अतिरिक्त इसमें पानी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक मानी जाती हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) नई दिल्ली के कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक जुकिनी यानि चप्पन कद्दू की खेती पॉलीहाउस, ग्रीन हाउस के साथ ही साथ खुले खेत में आसानी की जा सकती है। जुकिनी यानी चप्पन कद्दू पहले विदेशों में उगाया जाता था लेकिन पिछले कुछ सालों से देश के किसानों का रूझान इसकी खेती की तरफ पर बढ़ रहा है इसे फिल्म स्टार खूब पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें कुछ ऐसे पौष्टिक गुण होते हैं जो कि शरीर का वजन घटाने में काफी सहायक होते हैं। जुकिनी यानी चप्पन कद्दू की कई किस्मों को उगाया जाता है, जिन्हे अलग-अलग आकार और रंग से जाना जाता है। कम जमीन और कम समय में ज्यादा कमाई के लिए कृषि वैज्ञानिक किसानों को जुकिनी यानी चप्पन कद्दू की खेती की सलाह देते हैं।

जुकिनी यानी चप्पन कद्दू की खेती कैसे करें

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक दुनिया भर में उगाई जाने वाली स्वादिष्ट सब्जियों में से एक जुकिनी हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। इसकी खेती लगभग सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है। बस ध्यान ये रखना है की इसकी खेती जिस मिट्टी में की जाए उसका पीएच मान साढ़े 5 से साढ़े 6 के बीच हो। जुकिनी यानी चप्पन कद्दू की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसकी खेती के लिए सामान्य मौसम सबसे उपयुक्त होता है। जुकिनी यानी चप्पन कद्दू के फलों को अच्छे से विकास करने के लिए हल्की ठंड का मौसम सबसे उपयुक्त होता है। कम समयावधि की फसल होने की वजह से किसानों के लिए इसकी पैदावार फायदेमंद साबित हो रही है।

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक देश में जुकिनी यानी चप्पन कद्दू की खेती गर्मियों और शर्दियों दोनों ही मौसम में की जाती है। गर्मी में उगने वाली फसल को समर स्कवैश और सर्दियों में उगने वाली फसल को विंटर स्कवैश के नाम से भी जाना जाता है। जुकिनी की किस्मों में बनाना स्कवैश, एक्रॉन स्कवैश, एंबरकप स्कवैश, कार्निवल स्कवैश, टर्बन स्कवैश, डंपलिंग स्कवैश, डेलिकेटा स्कवैश और फेरीटेल पंपकीन स्कवैश प्रमुख हैं। जिसकी खेती आप कर सकते हैं।

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक एक एकड़ में जुकिनी की खेती के लिए दो किलो बीज की जरूरत होती है। इसकी बुआई सीधे बीज से या नर्सरी तैयार करके की जा सकती है। जुकिनी की बुआई या रोपाई करते समय विशेष ध्यान देने की जरूरत ये है कि जुकिनी की खेती के लिए मिट्टी का साफ और भुरभुरा होना जरूरी है। और किसानों को चाहिए खेती की मिट्टी की जांच जरुर करा लें, ताकि अनावश्यक उर्वरक न डालनी पड़े। खेत में गोबर की खाद डालने से उत्पादन अच्छा होता है। पौधे से पौधे की दूरी 1 से डेढ़ फीट होनी चाहिए। वहीं अगर आप इसके बीज लगा रहे हैं तो एक थाले में 3-4 बीज लगाएं। लेकिन तब भी दूरी उतनी ही रखें। इसकी रोपाई हमेशा मेड़ों पर करें रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई जरूर करें।

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक एक एकड़ में जुकिनी की खेती के लिए दो किलो बीज की जरूरत होती है। इसकी बुआई सीधे बीज से या नर्सरी तैयार करके की जा सकती है। जुकिनी की बुआई या रोपाई करते समय विशेष ध्यान देने की जरूरत ये है कि जुकिनी की खेती के लिए मिट्टी का साफ और भुरभुरा होना जरूरी है। और किसानों को चाहिए खेती की मिट्टी की जांच जरुर करा लें, ताकि अनावश्यक उर्वरक न डालनी पड़े। खेत में गोबर की खाद डालने से उत्पादन अच्छा होता है। पौधे से पौधे की दूरी 1 से डेढ़ फीट होनी चाहिए। वहीं अगर आप इसके बीज लगा रहे हैं तो एक थाले में 3-4 बीज लगाएं। लेकिन तब भी दूरी उतनी ही रखें। इसकी रोपाई हमेशा मेड़ों पर करें रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई जरूर करें।

जुकिनी यानी चप्पन कद्दू रोपाई के तकरीबन 60 से 70 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इस दौरान इसके फलों को कच्चे रूप में तोड़कर बेचा जाता है। क्योंकि पकने के बाद इनका इस्तेमाल सब्जी के रूप में नहीं किया जा सकता। पौधों पर फलों के लगने के बाद जब उनका आकार और रंग अच्छा दिखाई देने लगे तब उन्हें तोड़ लेना चाहिए। फलों की तुड़ाई के बाद उनकी छटाई कर बाजार में बेचने के लिए जालीदार कट्टों में भरनी चाहिए। चप्पन कद्दू की औसतन पैदावार की बात करें को प्रति हेक्टेयर में 150 क्विंटल के आसपास पाई जाती है। एक किलो चप्पन कद्दू मार्केट में 10 रूपये से 30 रूपये प्रति किलो रेट में मिलता है। इस हिसाब से किसान एक बार में एक हेक्टेयर से डेढ़ से दो लाख तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं।

आपको बता दें सब्जियों की फसल 30 से लेकर 70 दिन में तैयार होती है और अमूमन रोजना किसानों को पैसा देती है। देश में मौजूदा समय में करीब 40 तरह की सब्जियों की खेती की जा रही है और इन्हीं में एक है जुकिनी यानी चप्पन कद्दू जो कि आम कद्दू के मुकाबले इसकी पैदावार जल्दी होती है और ये महंगा बिकता है। जिसे देशी-विदेशी शैलानियों के साथ फिल्म स्टार खूब पसंद करते हैं।