किसानों ने खरीफ की फसलों की बुवाई शुरू कर दी है। इसी बीच सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों ने भी अपने खेतों की तैयारी करना शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि सोयाबीन उत्पादन में मध्य प्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है। कुछ सालों पहले तक सोयाबीन की फसल को काला सोना की संज्ञा दी जाती थी। हालांकि इस बीच इसके उत्पादन में कमी आई है लेकिन अब भी किसान इस फसल की खेती करके लाखों का मुनाफा हासिल कर सकते हैं।
सोयाबीन को तिलहन फसल की श्रेणी में रखा जाता है। भारत में खरीफ सीजन में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। बताते चलें कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान मिलकर देश में सोयाबीन की खेती में अकेले 96% से अधिक का योगदान देते हैं।
सोयाबीन की खेती अधिक हल्की रेतीली और हल्की भूमि को छोड़कर सभी प्रकार की जमीन पर किया जा सकता है। इसकी खेती करते वक्त ये बात जरूर ध्यान रखें कि जिस भी जगह इसकी खेती करें वहां जल निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए। खेतों में पानी रुकने की वजह से इसकी फसल बर्बाद हो जाती है।
इस फसल की बुवाई जून के अन्तिम सप्ताह में और जुलाई के पहले सप्ताह में करना सबसे उपयुक्त है।ज्यादा देरी होने पर जुलाई के दूसरे सप्ताह तक इसकी बुवाई सुनिश्चित कर लें। सोयाबीन की बोनी कतारों में करना चाहिए।
सोयाबीन में प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, विटामिन ई, बी कॉम्प्लेक्स, थाइमीन, राइबोफ्लेविन अमीनो अम्ल, सैपोनिन, साइटोस्टेरॉल, फेनोलिक एसिड जैसे तत्व पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्व शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद ऑयरन एनिमिया जैसी बीमारी से छुटकारा दिलाता है।