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सौर ऊर्जा है भविष्य की ऊर्जा

देश में सौर ऊर्जा भविष्य की ऊर्जा है दरअसल सौर ऊर्जा कभी न खत्म होने वाला संसाधन है और ये नवीकरणीय संसाधनों का सबसे बेहतर विकल्प है। सौर ऊर्जा पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है। जब इसका इस्तेमाल किया जाता है, तो ये पर्यावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड और कई हानिकारक गैसें नहीं छोड़ती। जिसके चलते हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहता है। सौर ऊर्जा खाना पकाने और बिजली उत्पादन करने के काम भी आती है। इतना ही नहीं सौर ऊर्जा एक प्रयोग कर आप बिजली के भारी भरकम बिल से भी छुटकारा पा सकते हैं और तो और इसके माध्यम से आप सरकार की कई परियोजनाओं का भी लाभ उठा सकते हैं। और ये तब संभव होगा जब आपको सौर ऊर्जा के बारे में पूरी जानकारी होगी।

सौर ऊर्जा असल में है क्या

आपको बता दें पृथ्वी पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें और उसमें मौजूद गर्मी ही सौर ऊर्जा कहलाती है। दरअसल धरती पर सौर ऊर्जा ही एकमात्र ऐसा ऊर्जा स्रोत है जो अन्य ऊर्जा स्रोतों की तुलना में अत्यधिक मात्रा में उपलब्ध है। सूरज से पृथ्वी पर अधिक मात्रा में ऊर्जा पहुंचती है और पृथ्वी पर इसका इस्तेमाल बिजली बनाने में भी किया जाता है। सौर ऊर्जा का पैनल लागाने का सबसे बड़ा फायदा है कि इससे हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना बिजली उत्पन्न कर सकते हैं।

आपको बता दें सौर ऊर्जा कभी खत्म न होने वाला संसाधन है और ये नवीकरणीय संसाधनों का सबसे बेहतर विकल्प है। दरअसल सौर ऊर्जा को प्राप्त करने के लिये बिजली या गैस ग्रिड की जरूरत नहीं पड़ती है। सौर ऊर्जा को कहीं भी स्थापित किया जा सकता है। सौर ऊर्जा के पैनल यानि सौर ऊर्जा की प्लेट को आसानी से घरों में कहीं पर भी रखा जा सकता है और ये ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तुलना में काफी सस्ती और टिकाऊ है। देश में विद्युतीकरण की दर तेज होने और जीडीपी में बढ़ोत्तरी के चलते ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ी है और माना जा रहा है कि इसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के बजाय सौर ऊर्जा के माध्यम से आसानी से पूरा किया जा सकता है। ऐसे में सौर ऊर्जा क्षेत्र देश के ऊर्जा उत्पादन और मांगों के बीच की बढ़ती खाई को बहुत हद तक पाट सकता है।

आइए जानते हैं खेतीबाड़ी में प्रयोग होने वाले कुछ यंत्रों के बारे में जिसके उपयोग से लागत के साथ मेहनत भी कम लगती है

सोलर पंप :

सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप में एक सोलर पैनल, एक ऑन-ऑफ स्वीच, नियंत्रित और ट्रैकिंग प्रणाली और एक मोटर पंप होता है। यह प्रणाली सौर ऊर्जा को विद्युत धारा में बदलती है। जिसके लिए एक एसपीवी सेल का इस्तेमाल किया जाता है। एसपीवी सेल की क्षमता विभिन्न जल स्रोतों के अनुसार दो सौ वॉट से पांच किलो वॉट तक होती है। एक हजार वॉट क्षमता वाला सोलर पंप तकरीबन 40 हजार लीटर पानी प्रतिदिन के हिसाब से दो एकड़ भूमि की सिंचाई कर सकता है। एक हजार वॉट क्षमता की सोलर पंप पर डीजल पंप की तुलना में सालाना तकरीबन 45 हजार तक की बचत होती है।

सोलर ड्रायर :

दरअसल खेतीबाड़ी में आजकल सोलर ड्रायर का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। इसका इस्तेमाल कर अनाज को मंडी में भेजने से पहले सुखाया जाता है। इन ड्रायर में आमतौर पर ऊर्जा पैदा करने के लिए निष्क्रिय सौर पैनलों का उपयोग किया जाता है। बड़े सोलर ड्रायर में शेड बने होते हैं, जिसमें अनाज को सुखाने के लिए एक रैक और एक सोलर पैनल होता है। पंखे से जब शेड के जरिए गर्म हवा चलायी जाती है तब अनाज सूखते हैं। सोलर ड्रायर का घरेलू इस्तेमाल कर सब्जी, फल, और मसाले, सब्जियां जैसे आलू चिप्स, पत्तियों वाली सब्जियां सुखाई जा सकती हैं।

सोलर फेंसिंग :

जहां पशुओं और जंगली जानवरों से खेतों को अक्सर नुकसान पहुंचता है, वैसी जगहों के लिए सोलर फेंसिंग एक वरदान के समान है। ये बिना नुकसान पहुंचाए जानवरों को खेतों से दूर रखती है। जैसे जंगली सूअर, नीलगाय जैसे पशु खेतों को क्षति नहीं पहुंचा पाते। इसलिए सौर ऊर्जा से संचालित बिजली की बाड़ खेतों और पशुपालकों के बड़े फार्मों के लिए बहुत फायदेमंद है। बैटरी से चलने वाले सोलर फेंसिंग की लागत प्रति एकड़ 45 हजार से 50 हजार रुपये तक आती है। जिस पर कई राज्य सरकारों की तरफ से अलग-अलग अनुदान भी दिया जाता है। राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के किसान बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल कर लाभ उठा रहे हैं।

सोलर स्प्रेयर:

खेती में रसायनों के स्प्रे के लिए आजकल सोलर स्प्रेयर के इस्तेमाल का प्रचलन बढ़ रहा है। जिससे किसान न केवल छिड़काव में लगने वाला श्रम बचते हैं बल्कि इससे स्प्रे करने पर समय की भी काफी बचत होती है और बाजार में इसकी कीमत 3 से लेकर 5 हजार रुपए तक है। जिस पर किसानों को प्रदेश सरकारें अनुदान भी मुहैया करवाती हैं और इस तरह आधुनिकता की दौड़ में जरूरत के मुताबिक बढ़ती लागत को घटाने के लिए किसान भी सौर ऊर्जा से चलने वाले यंत्रों का बेहतर उपयोग कर ज्यादा सक्षम और हाईटेक बन सकते हैं।

आपको बता दें विकसित देशों में ऊर्जा की प्रति व्यक्ति खपत 5 - 11 किलोवाट है, जबकि विकासशील देशों में ये केवल 1 से 1.5 किलोवाट के बीच है। ऐसे में ऊर्जा की खपत का विश्वस्तरीय औसत 2 किलोवाट है। ये ऊर्जा बिजली, ताप, प्रकाश, यांत्रिक ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा आदि के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इसलिए देश में ही नहीं बल्कि दुनिया के अधिकतर देशों में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल हो रहा है। सौर ऊर्जा की अहमियत को अब पढ़े-लिखे लोगों के साथ-साथ सीमांत किसान भी समझने लगे हैं।