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किसानों का काला हीरा ‘काला नमक चावल’

मौजूदा समय में पूरी दुनिया जैविक खेती पर जोर दे रही है। सामान्यतौर पर 'काला नमक' चावल जैविक खेती के जरिए ही उगाया जाता है। काला नमक चावल देश के सबसे खुशबूदार चावलों में से एक है। इसके धान की विशेषता ये है कि बिना किसी उर्वरकों और कीटनाशकों की मदद से इसे उगाया जाता है। जाहिर है कि इसकी खेती में जब उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल ही नहीं होता तो इससे किसानों की जेब पर भी कम बोझ पड़ता है। जहां तक इसके पैदावार की बात की जाए तो ये दूसरे धानों की तुलना में 40 से 50 फीसदी ज्यादा है। इस चावल को न सिर्फ देश में बल्कि दुनिया में प्रसिद्धि मिली हुई है। यूनाइटेड नेशन्स के फूड एंड एग्रिकल्चर ऑर्गेनाइजेशन ने दुनिया भर के शानदार चावलों पर लिखी अपनी किताब स्पेशियलिटी राइसेस ऑफ द वर्ल्ड में काला नमक चावल का भी जिक्र किया है।

‘काला नमक चावल’ की खुशबू और चर्चे देश और विदेश तक

काला नमक चावल देश के सबसे शानदार क्वालिटी वाले चावलों में से एक है। इसका नाम काला नमक इसलिए पड़ा, क्योंकि इसका धान काले रंग का होता है, यानी इसकी भूसी का रंग काला होता है। हालांकि, इसका चावल सफेद रंग का ही होता है। इस चावल से एक अलग तरह की खुशबू भी आती है, जिसकी वजह से इसे यूपी का खुशबू वाला ‘काला मोती’ भी कहा जाता है। काला नमक चावल बासमती चावल नहीं है, ये लंबाई में बासमती चावल से छोटा होता है। इसकी खुशबू बासमती की हर तरह की वैरायटी से भी अच्छी होती है। इंटरनेशनल मार्केट में सबसे शानदार चावलों की गुणवत्ता मांपने के जो पैरामीटर होते हैं, ये चावल उन सभी पर खरा उतरता है।

मशहूर काला नमक चावल एक बार फिर सुर्खियों में है। ये पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई इलाकों में काफी लोकप्रिय है। इसकी खेती पूर्वांचल के कई जिलों में की जाती है। काला नमक धान की खेती सबसे पहले सिद्धार्थनगर जिले के शोहरतगढ़ और नौगढ़ तहसील के कुछ इलाकों में की जाती थी। इसके धान काफी हेल्दी और सुगंधित होते हैं। इसे यूपी का सेंटेड ब्लैक पर्ल भी कहा जाता है। बता दें 'काला नमक चावल को पूर्वांचल के सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, कुशीनगर,देवरिया महाराजगंज, संत कबीरनगर, बलरामपुर, बहराइच, बस्ती, बाराबंकी, और गोंडा जिले को 2013 में जियोग्राफिकिल इंडिकेटर जीआई टैग मिल चुका है। और इसकी सुगंध अब श्रीलंका, थाईलैंड, जापान, म्यांमार और भूटान समेत कई बौद्ध देशों तक पहुंच गई है। ये चावल अब बिक्री के लिए ऑनलाइन पोर्टल फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है।

वहीं उपकार के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह ने वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह से बातचीत करते हुए बताया कि काला नमक चावल पर शोध और ब्रांडिंग के लिए हमारी संस्था काम करेगी जिससे कि इस प्रसिद्ध धान की वैराइटी का किसान से लेकर उपभोक्ता तक फायदा ले सकें। काला नमक चावल काफी प्रसिद्ध चावल है जिसकी मांग अभी भी काफी है, लेकिन अब तक इस चावल को उसकी असल पहचान नहीं मिल सकी है।

काला नमक चावल एक प्रकार का सुगंधित और मुलायम चावल है। और इसके विशेष गुणों के कारण इस चावल की एक अनोखी पहचान है। सिद्धार्थनगर जिले में कई जगहों पर इस चावल का उत्पादन किया जाता है। सिद्धार्थनगर में वर्तमान समय में चावल उद्योग की कुल 45 इकाइयां संचालित की जा रही हैं। यहां पर कई इकाइयों में प्रसंस्कृत होने वाला चावल, उत्तर प्रदेश के कई जिलों में और राष्ट्रीय स्तर के बाजार में निर्यात किया जाता है। ये इकाइयां कई कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान कर रही हैं। इसी के चलते उत्तर प्रदेश की वर्तमान योगी आदित्यनाथ सरकार ने साल 2018 में काला नमक धान को सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर, महाराजगंज, बस्ती और संतकबीर नगर जिलों को एक जिला एक उत्पाद यानि (ODOP) घोषित किया है। और गेहूं की कटाई के बाद, गोरखपुर और आसपास के जिलों में काला नमक धान खेती की तैयारी शुरू होने वाली है।

भगवान महात्मा बुद्ध का महाप्रसाद है काला नमक चावल

यूपी का 'पवित्र चावल' काला नमक भगवान गौतम बुद्ध को काफी प्रिय था। पौराणिक मान्यता के अनुसार ज्ञान प्राप्ति के दिन सुजाता ने महात्मा बुद्ध को जो खीर भेंट की थी, वो खीर काला नमक चावल से ही बनी थी। भगवान बुद्ध काला नमक चावल की खुशबू और स्वाद की दीवाने थे। भगवान गौतम बुद्ध ज्ञानि प्राप्ति के बाद जब पहली बार कपिलवस्तु पहुंचे, तो गांव वालों ने उन्हें रोक लिया और उनसे 'प्रसाद' की मांग की। भगवान गौतम बुद्ध ने गांव वालों को काला नमक के धान आशीर्वाद रूप में दिए, और उन्होने इसे दलदली जगह में बोने के लिए कहा इसके साथ ही भगवान बुद्ध ने कहा था कि इस चावल में विशिष्ट सुगंध होगी, जो हमेशा लोगों को मेरी याद दिलाएगी', कहते हैं कि यही वजह है कि ये धान कहीं और लगाया जाता है तो अपनी गुणवत्ता और सुगंध खो देता है।

कई तरह की बीमारियों के लिए रामबाण है काला नमक चावल

काला नमक चावल को कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए रामबाण माना जाता है। इसमें पोटैशियम की मात्रा काफी अधिक होती है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन बी और आयरन के साथ एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी अधिक होती है जो कि अन्य किसी चावल में नहीं पाई जाती है। इसके सेवन से कई तरह की बीमारियों के अलावा कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी और डायबिटीज, अल्जाइमर जैसी बीमारियों से भी निजात पाई जा सकती है। इसमें मौजूद फाइबर शरीर को मोटापा और कमजोरी से बचाता है। इसका चयन कुपोषण से लड़ने के लिए भी किया जाता है। इसमें जिंक 21.5 फीसदी और आयरन 12 फीसदी पाई जाती है। इसके अलावा, इसमें ओमेगा 3 फीसदी और 6 फीसदी जैसी लाभदायक वसा भी पाई जाती है।

काला नमक चावल की खेती कैसे और कब की जाती है ?

काला नमक धान की बुवाई का उचित समय जून का अंतिम पखवारा, यानि 15 से 30 जून के बीच का होता है। इसमें एक हेक्टेयर धान की खेती के लिए 30 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। जब इसका पौधा 20 से 30 दिन का हो जाये, तो इसे उखाड़ कर इसकी रोपाई की जाती है। पौधे से पौधे की दूरी 20 से 15 सेंटीमीटर रखनी चाहिए, और ध्यान रहे कि एक स्थान पर 2 से 3 पौधे ही लगावें। आम तौर पर एक किलो चावल के लिए, करीब 3 से 4 हजार लीटर पानी का इस्तेमाल होता है, लेकिन इसके 1 किलो धान के उत्पादन के लिए, करीब 1500 से 2500 लीटर ही पानी लगता है। काला नमक की बौनी प्रजातियों में 120 ग्राम नत्रजन यानि नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 60 किलोग्राम पोटास की आवश्यक्ता होती है। फास्फोरस और पोटास की पूरी मात्रा के साथ, नाइट्रोजन की आधी मात्रा रोपाई से पहले मिलाकर खेत में डाल दी जाती है। रोपाई के एक महीने बाद खर पतवार नियन्त्रण के बाद बचे हुए, 60 किलोग्राम नाइट्रोजन की मात्रा का ऊपर से छिड़काव किया जाता है। इसकी बालियां 20 अक्टूबर के आस-पास निकलती हैं। और 25 नवंबर के आस -पास ये कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

आपको बता दें इसका उत्पादन लागत अन्य धान की फसलों की तुलना में कम है। इसकी वैराइटी पर लगातार वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। जिससे कम से कम दिनों में फसल ली जा सके। काला नमक चावल की कीमत बाजार में काफी अच्छी है। ये बासमती धान की तुलना में अधिक सुगंधित और अधिक पैदावार देता है। एक हेक्टेयर में बासमती की उपज 20 से 25 क्विंटल है। जबकि काला नमक धान का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 35 से 40 क्विंटल तक है। ऐसे में ये चावल बाजार में 75 से 80 रुपये प्रति किलो के करीब बिकता है। ऑनलाइन मार्केट में तो इसकी कीमत 300 रुपये किलो तक है। काला नमक चावल की खेती से प्रति हेक्टेयर 22,500 रुपये तक का रिटर्न मिलता है।

बता दें काला नमक चावल अगर किसी एक घर में बनता है, तो आस पास के कई घरों में इसकी खुशबू जाती है। उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार और कृषि वैज्ञानिक काला नमक धान की पैदावार को बढ़ावा दे रहे हैं। काला नमक चावल में जो स्वाद और कीमत है इसलिए इसे बासमती धान से बेहतर माना जाता है।