गेंदे के फूल को बारहमासी पौधा भी कहा जाता है। साल भर में इसकी तीन बार खेती की जा सकती है। लगभग हर त्योहारों में इसकी मांग बनी रहती है। जिससे किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।
रबी और खरीफ की पारंपरिक फसलों की निराई, बुवाई से लेकर कटाई तक काफी समय लगता है। इसी कारण देश में पिछले कई सालों में किसानों ने वैकल्पिक फसलों की तरफ तेजी से रुख किया है। ये फसलें बहुत कम समय में अधिक मुनाफा देती हैं। गेंदे का फूल भी कुछ इसी तरह की फसल है।
गेंदे की खेती की सबसे खास बात है कि 45 से 60 दिनों में इसकी फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। साल भर में किसान तीन बार इसकी खेती कर सकते हैं। हर त्योहार में उपयोग होने की वजह से इसकी मांग भी हमेशा बनी रहती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि एक एकड़ में गेंदे की खेती से किसान तकरीबन 15 से 20 हजार की लागत लगाकर 2 से 4 लाख रुपये तक मुनाफा कमा लेते हैं। ऐसे में लघु और सीमांत किसानों के लिए पारंपरिक फसलों के मुकाबले गेंदे की खेती बढ़िया विकल्प है।
गेंदे के फूल की पत्तियों में औषधीय गुण भी समाहित होते हैं, ऐसे में इसे पशुओं द्वारा खराब भी नहीं किया जाता है। साथ ही इनके पौधों पर लाल मकड़ी के अलावा कोई भी कीट नहीं लगता है। ऐसे में अन्य फसलों के मुकाबले इसके रखरखाव में कोई दिक्कत नहीं होती है। इसके पौधे लगाने से मिट्टी के अंदर लगने वाली कई बीमारियां भी दूर हो जाती हैं।
गेंदे के फूल को बाजार में खोजने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती है। शादियों के मौसम में इस फूल की खूब मांग रहती है। ऐसे वक्त में इसकी कीमत में ठीक-ठाक इजाफा देखने को मिलता है। इन सबके अलावा भारत को त्योहारों का देश भी कहा जाता है। त्योहारी दिनों में फूलों की मांग ज्यादा रहती है। ऐसे में इसके फूल हाथोंहाथ बिक जाते हैं और बर्बाद होने की संभावना काफी कम होती है और किसानों को 12 महीने इनकम मिलती रहती है।