भारतीय समाज हमेशा से एक पुरुष प्रधान समाज रहा है, यही वजह है कि महिलाओं को शिक्षा और समानता जैसे बुनियादी मानवाधिकारों से लगातार वंचित रखा गया है। वे हमेशा घर तक ही सीमित रहीं और उनको बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने से रोका गया। लैंगिक समानता की धारणा पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता की मांग करती है, लेकिन महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। आज महिलाएं विकासशील भारत को विकसित बनाने के लिए अपना योगदान दे रही हैं। परंतु फिर भी उन्हें कई बार अलग-अलग रूपों में प्रताड़ित किया जाता है तथा उनके अधिकारों का हनन किया जाता है। कहीं न कहीं यह भी सच है कि पितृ सत्तात्मक समाज होने के कारण पुरुषों को ही मान-सम्मान दिया जाता है। आज भी कई ऐसे प्रांत हैं जहां बेटियों के पैदा होने पर निराशा जाहिर की जाती है। समाज के हर वर्ग का विकास हो और ये उत्थान तभी संभव है, जब समाज की हर महिला का उत्थान यानि नारी सशक्तिकरण होगा। जब एक नारी आर्थिक तौर पर सशक्त होगी तो इससे उनमें आत्मविश्वास पैदा होगा। क्योंकि जैविक और नैतिक दोनों संदर्भों में महिलाओं के पास एक परिवार के भविष्य और विकास के साथ-साथ पूरे समाज को विकसित करने के लिए अधिक क्षमताएं हैं। इस प्रकार, हर महिला को एक व्यक्ति के रूप में पूरी तरह से विकसित होने और अपनी पसंद बनाने में मदद करने के लिए समान अवसर दिए जाने चाहिए। भारत जैसे देश में महिलाओं के विकास में महिला सशक्तिकरण की बड़ी भूमिका होगी। हम नारी सशक्तिकरण की बात करेगें, सफल महिलाओं के किस्से होंगे, उनसे जुड़े अभियान और योजनाएं होंगी, कभी उनके संघर्ष तो कभी उनके लिए संभावनाओं की बात होगी, हमारा प्रयास रहेगा कि हम देश के हर समाज की हर महिला को इसमें शामिल कर सकें। आपसे अनुरोध है कि इस प्रयास में आप हमारा साथ दें और हमारा साथ तब भी जरूर दें जब आप खुद एक महिला न हों, क्योकिं कहीं न कहीं आप एक महिला से जुड़े हैं।