संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे…आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी…हमारे देश में अंडे और मांस की बहुत अधिक मात्रा में मांग है. आज के दौर में अंडे की मांग की पूर्ती कर पाना भी मुश्किल हो गया है. अंडा हमारी सेहत के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है. अंडे में हमें भरपूर प्रोटीन ,कैल्शियम और omega-3 मिल जाता है. विश्व स्तर पर, भारत अंडा उत्पादन में दुनिया में तीसरे और चिकन मांस उत्पादन में दुनिया में पांचवें स्थान पर है. अगर आप परम्परागत खेती से खुश नहीं हैं तो आप भी अपना पोल्ट्री फार्म शुरू कर सकते हैं. अंडे की मांग को पूरा करने के इस व्यवसाय से किसान अपनी आय 5 से 10 गुना तक बढ़ा सकते हैं.आईए हम आपको बताते हैं कि पोल्ट्री फार्म शुरू करने के कितने तरीके हैं…और आप इसे कैसे शुरू कर सकते हैं…
आईए हम आपको सबसे पहले लेयर पोल्ट्री फार्म के बारे में जानकारी देते हैं…लेयर पोल्ट्री फार्म में मुख्य रूप से अंडा उत्पादन के लिए अंडा देने वाली पक्षियों को पाला जाता है…लेयर मुर्गियां एक ऐसी विशेष नस्ल हैं, जिन्हें एक दिन की उम्र से ही पालने की जरूरत होती है…ये लगभग 20 सप्ताह की उम्र से अंडे देना शुरू कर देती हैं… ये अपनी 72 से 78 सप्ताह की आयु तक लगातार अंडे देना जारी रखती हैं…अंडे देने की अवधि के दौरान ये लगभग 2 किलोग्राम भोजन खाकर एक किलोग्राम अंडे का उत्पादन कर सकती हैं…लेयर पोल्ट्री फार्म में कम उत्पादन खर्च और अंडों की अधिक मांग के कारण किसानों के बीच यह तरीका बहुत लोकप्रिय हो रहा है…
पूरी प्रक्रिया को किसान चार चरणों में बाँट सकते हैं…ब्रूडिंग, ग्रोइंग, पुललेट और लेयरिंग...मुर्गी के 20 सप्ताह पूरे हो जाने के बाद से लेयरिंग शुरू होती हैं…अंडे देने की उम्र में पहुँच जाने पर उन्हें लेयरिंग फ़ीड दिया जाता है…18 सप्ताह पूरा हो जाने के बाद मुर्गियों को एग लेयरिंग क्वार्टर में शिफ्ट किया जाता है…बीमार पक्षियों को उनके बीच से निकाला जाता है और उन्हें अलग रखा जाता है…ऐसी मुर्गियों को सामान्य रूप से पाला जाता है...मुर्गियों के अंडा देने की क्षमता खत्म होने की स्थिति में उन्हें निकालकर दूसरी लेयरिंग के लिए अलग कार्टर में रखा जाता है…यह प्रक्रिया चलती रहती है क्योंकि बाजार की जरूरत पूरी करने के लिए अंडों का एक स्थिर उत्पादन बनाए रखना होता है…
उपयुक्त भूमि का चयन करना इस व्यवसाय का सबसे महंगा और सबसे जरूरी हिस्सा है…भूमि का क्षेत्र उन पक्षियों की संख्या पर निर्भर करता है जिन्हें आप पालना चाहते हैं…पोल्ट्री फार्मिंग के लिए जगह चुनते समय कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए…कोशिश होनी चाहिए कि जगह शोर मुक्त और प्रदूषण मुक्त हो…ग्रामीण क्षेत्रों में पोल्ट्री फार्मिंग करने से अधिक फायदे हैं क्योंकि यहाँ भूमि और श्रम अपेक्षाकृत सस्ते हैं…साथ ही भूमि का चयन करते समय पर्याप्त मात्रा में ताजे और साफ पानी का एक बड़ा स्रोत होना व्यवसाय के लिए काफी बेहतर होगा…जगह का चुनाव करते समय परिवहन व्यवस्था और मार्केट को भी अगर आप अपने जेहन में रखें तो बेहतर है…एग लेइंग के लिए शेड खेत के अंदर की ओर स्थित होना चाहिए…ताकि सड़क की शोर का असर अंडों की उत्पादन पर ना पड़े…अत्यधिक शोर से अंडों के उत्पादन पर गलत प्रभाव पड़ता है...पानी की ट्रे को मुर्गियों की पीठ के बराबर ऊंचाई पर रखा जाना चाहिए…इसके अलावा ग्रिल की ऊंचाई को ऐसे रखना चाहिए कि वह ऊपर छत से नहीं टकराए…मुर्गियों के अंडे देने के एक हफ्ते पहले एक नेस्ट बॉक्स बनाना जरूरी होता है…नेट बॉक्स लेयर मुर्गियों की संख्या पर निर्भर करता है और ये 3 प्रकार का होता है…आईए सबसे पहले हम आपको इंडिविजुअल नेस्ट के बारे में जानकारी देते हैं…इंडिविजुअल नेस्ट प्रत्येक 4 से 5 मुर्गियों के लिए एक बॉक्स होता है…जब बॉक्स 40 से 50 मुर्गियों के लिए बनाया जाय उसे कम्यूनिटी नेस्ट कहा जाता है…इसके अलावा एक नेस्ट ऐसा भी होता है जिसका उपयोग अनुसंधान उद्देश्यों के लिए किया जाता है और इसमें एक समय में एक ही मुर्गी को रखा जाता है…
लेयर पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों को पर्याप्त जगह देना बहुत आवश्यक है…डीप लिटर प्रणाली में हर मुर्गी को लगभग 2 वर्ग फुट जगह मिलना चाहिए…पिंजरा प्रणाली में 3 से 5 मुर्गियों को रखने के लिए 18 इंच x 12 इंच जितनी जगह पर्याप्त है…हवा और बारिश को रोकने के लिए बाहरी तरफ शेड बना हुआ होना चाहिए ताकि पक्षियों को इनसे नुकसान ना हो…
अंडा देने की स्थिति में लेयर मुर्गियों को लगभग 14 घंटे दिन का प्रकाश चाहिए होता है…मौसम परिवर्तन की स्थिति में मुर्गियों को उचित प्रकाश नहीं मिल पाता है…ऐसे में 2 से 4 घंटे की कृत्रिम प्रकाश का प्रबंध करना होता है…प्रति 100 मुर्गियों पर एक 60 वाट का लाइट लगाना जरूरी होता है…
नेस्ट बॉक्स से अंडों को नियमित रूप से एकत्रित करना बहुत जरूरी होता है…डीप लिटर प्रणाली में इसे दिन में एक बार और पिंजरा प्रणाली में इसे दिन में 2 बार एकत्रित करना होता है...अंडों को आसानी से संग्रह करने के लिए किसान आमतौर पर एक एग रोल आउट लगा देते हैं…अंडे के खोल पर लगे खून को साफ पानी से धो लेना चाहिए…संक्रमण के खतरे से बचने के लिए साफ किए हुए अंडों को तुरंत फ्रिजरेट किया जाना चाहिए…
आईए अब हम आपको लेयर मुर्गि की कुछ प्रमुख प्रजातियों के बारे में बताते हैं…लोहमन…BV -300…BV -380…बोवनस व्हाइट…W-36 और हाइलाइन ब्राउन लेयर मुर्गी की कुछ प्रमुख प्रजातियाँ हैं…
आईए अब हम आपको जानकारी देते हैं कि इस व्यव्साय में आपकी कितनी लागत होगी और कितना मुनाफा हो सकता है…लेयर शेड, पिंजरे की लागत और बिजली- पानी के प्रबंध में प्रति 1 हज़ार मुर्गी पर कुल लागत 3 लाख 69 हज़ार 600 का होता है…इसके अलावा नियमित अंतराल पर होने वाले खर्चे भी हैं जैसे दवा -वैक्सीन, बिजली बिल और मजदूरी…इन सभी को मिलाकर लगभग 3 लाख 91 हज़ार 600 कुल खर्च होता है…अगर कुल लागत की बात करें तो लेयर पोल्ट्री फार्मिंग में प्रति 1 हज़ार मुर्गी पर लगभग 7 लाख 61 हज़ार 200 का लागत होता है…हमने आपको लागत की सारी जानकारी दे दी है…लेकिन जरूरी नहीं है कि सारा खर्च आपको अपने जेब से ही करना पड़े…मुर्गी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार सब्सिडी भी देती है…जिसका लाभ उठा कर आप यह व्यवसाय शुरू कर सकते हैं…पोल्ट्री फार्म शुरू करने में सरकार जनरल कैटेगरी को 25 प्रतिशत और SC/ST कैटेगरी को 35 प्रतिशत तक की सब्सिडी देती है…यह सब्सिडी नाबार्ड और MSME द्वारा दी जाती है…इसके अलावा इस व्यवसाय को शुरू करने में कई तरह के लोन का भी प्रावधान है…इस व्यवसाय को शुरू करने में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया कुल लागत का 75 प्रतिशत तक का लोन प्रदान करती है…आपको बता दें पोल्ट्री फार्म के लिए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया अधिकतम 9 लाख तक का ही लोन दे सकती है…बैंक से लोन प्राप्त करने के लिए प्रोजेक्ट प्लान और जमीन आदि की पूरी जानकारी बैंक को देनी होती है…लोन को भुगतान करने के लिए बैंक 5 साल का समय देता है…किसी भी कारण से समय से लोन नहीं भुगतान करने की स्थिति में बैंक 6 महीने का एक्स्ट्रा समय भी देता है…लोन लेने के लिए कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती है जैसे पहचान पत्र, पासपोर्ट साइज़ फोटो, एड्रेस प्रूफ, बैंक स्टेटमेंट की फोटो कॉपी और अपने प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी…स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के अलावा ऐसे अन्य बैंक भी हैं जो पोल्ट्री फार्म के व्यवसाय के लिए लोन देते हैं…जैसे ICICI, HDFC और पंजाब नेशनल बैंक…हमने आपको लागत और लोन के प्रावधान के बारे में बता दिया है…आईए अब बात लेयर पोल्ट्री फार्म में होने वाले मुनाफे की करते हैं…लेयर फार्म में मुर्गियां अमूमन 20 सप्ताह में अंडे देना शुरू करती हैं…और एक लेयर पैरेंट बर्ड एक साल में लगभग 300 से 315 अंडे देती है…अगर हम ये मान लें कि आपके फार्म में कुल 2 हज़ार मुर्गियां हैं तो ऐसे में 300 अंडे प्रति वर्ष के औसत से लगभग 6 लाख अंडे मिलते हैं…मौजूदा समय में अंडे का भाव 3.5 रूपए प्रति अंडा है…ऐसे में 6 lakh अंडे बेचने पर साल भर की कमाई 21 लाख रुपए होगी…लेयर बर्ड बाइंग कास्ट 60 हज़ार, 20 सप्ताह तक भोजन का 2 लाख रूपए और साल भर तक भोजन में आने वाले खर्च 5 लाख रूपए को निकाल दें तो कुल कमाई 13 लाख 40 हज़ार होती है…इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर और लेबर कॉस्ट के 6 लाख को निकाल दें तो पहले साल नेट मुनाफा लगभग 7 लाख रूपए का होगा…गौर करने वाली बात है कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर एक ही बार खर्च करना होता है…यानी दूसरे साल से मुनाफा अधिक होता है…