नमस्कार दोस्तों गंगा के पिछले ब्लॉग में हमने आपको बताया कि कैसे गंगा पहाड़ी सफर को तय करने के बाद हरिद्वार में पहली बार गंगा ज़मीन को स्पर्श करती हैं। हरिद्वार जहां रोज़ाना हज़ारों लोग हर की पैड़ी पर आस्था की डूबकी लगाते हैं, जिसे चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार कहा जाता है, यही वो स्थान है जहां समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत कलश से अमृत का एक बूंद गिरा था, जहां ब्रह्म कुंड है जिसे हर की पैड़ी कहते हैं। यहीं वो स्थान है जहां भगवान विष्णु के चरण पड़े थे...हर की पैड़ी के आसपास कई सिद्ध पीठ मंदिर है..जहां गंगा स्नान के बाद श्रद्धालु दर्शन करते हैं...यहां कुंभ मेले का आयोजन भी होता है. जिस गंगा में स्नान करके हम अपने आप को धन्य महसूस करते हैं. उस गंगाजल के साथ यहीं से शुरू होता है अत्याचार, कहीं गंदगी का अंबार है तो कहीं सीधे शहरों के कचरों को गंगा में बहाया जाता है.और ऐसा सिर्फ हरिद्वार में ही नहीं होता है बल्कि गंगा सागर तक गंगा को जमकर दूषित किया जाता है। उन सबका भी ज़िक्र हम करेंगे लेकिन पहले हम ये बता दें कि गंगा में गंगासागर तक कितनी नदियों की धारा सम्मिलित होती है. गंगा नदी की लंबाई 2,525 किलोमीटर है। जिसमें उत्तराखंड में 110 किमी की दूरी तय करती है तो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 1,450 किलोमीटर का सफर तय करती है...वहीं बिहार में लगभग 445 किमी और पश्चिम बंगाल में 520 किमी की दूरी तय करते हुये बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है | गंगा नदी भारत में सबसे बडी नदी है जहां बहुत सारी बारहमासी और गैर बारहमासी नदियां उत्तर में हिमालय और दक्षिण में प्रायद्वीप से निकलती है जो गंगा में विलिन हो जाती है
यमुना नदी गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है....वहीं रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी और महानंदा भी गंगा में विलय हो जाती है...लेकिन इन नदियों के साथ कई छोटी-छोटी नदियां हैं जो इन नदियों में विलय हो जाती है और अंत में गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में खुद को सागर द्वीप के निकट निर्वहन कर देती है ।
यमुना – यह गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है..जिनका उदग्म स्थल हिमालय के कालिंद पर्वत है जिसके नाम पर यमुना को कालिंदी भी कहा जाता है....उत्तरकाशी के यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलकर ये नदी कई राज्यों से गुजरती हुई प्रयाग में जाकर गंगा से मिल जाती है...यह नदी 1375 किमी की दूरी तय करती है....इसके दाहिने किनारे पर जो प्रायद्वीपीय पठार से निकलता है चंबल, सिंध, बेतवा और केन नदियां हैं जबकि इसके बाएं किनारे पर हिंडन ,रिंड , सेंगर, वरुण, आदि इसमें शामिल होती है।
चंबल – यह एक बारहमासी नदी है। इसका उद्गम स्थल मध्यप्रदेश के जानापाव की पहाड़ी है। यह दक्षिण में महू शहर के, इन्दौर के पास, विन्ध्य रेंज में मध्य प्रदेश में दक्षिण ढलान से होकर गुजरती है। चम्बल की सहायक नदी बनास है जो अरावली पर्वत से शुरू होती है और चंबल नदी में मिल जाती है। चंबल नदी की लंबाई लगभग 1051 किमी है... उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की सीमा पर चम्बल, कावेरी, यमुना, सिन्धु, पहुज भरेह के पास पाँच नदियों का संगम होता है जिसे पंचनदा भी कहते हैं. यहां से यमुना सभी धाराओं को सम्मिलित कर आगे बढ़ती है.
गंडक - यह नेपाल हिमालय में धौलागिरी और माउंट एवरेस्ट के बीच से निकलती है और नेपाल के मध्य भाग में बहती है.... कालीगण्डक और त्रिशुलगंगा भी इसमें शामिल हैं। इसकी लंबाई 814 किमी है । यह बिहार के चंपारण जिले में गंगा के मैदानी में प्रवेश करती है और सोनपुर पटना के पास गंगा में जाकर मिलती है।
घाघरा - यह दक्षिणी तिब्बत के ऊंचे पर्वत शिखरों से मानसरोवर झील के समीप से निकलती है..यहां से यह नेपाल में प्रवेश करती है, जहां इसका नाम कर्णाली है.....जिसके बाद यह भारत के उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रवाहित होती है....लगभग 170 किलोमीटर की यात्रा के बाद यह बलिया और छपरा के बीच गंगा में मिल जाती है..
कोसी - जिसका उद्गम स्थल तिब्बत में माउंट एवरेस्ट के उत्तर से होता है. इसकी लंबाई 814 किमी है...इसकी प्रमुख सहायक नदियां अरुण, तमोर, लिखु, दूघकोशी, तामाकोशी, सुनकोशी और इनद्रावती है. इसे सप्तकोशी भी कहा जाता है. बिहार के कटिहार जिले में ये गंगा से जाकर मिल जाती है.
रामगंगा-रामगंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में दूधातोली पहाड़ी की दक्षिणी ढ़लानों में होता है....इसकी लंबाई 188 किमी है... शिवालिक पार करने के बाद ये दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर अपने जलमार्ग में परिवर्तन लाती है और उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद के पास के मैदानों में प्रवेश करती है। अंत में यह कन्नौज के पास गंगा में मिलती है।
दामोदर - छोटानागपुर पठार के पूर्वी हाशिये पर अधिकार करके एक दरार घाटी के माध्यम से बहती है और अंत में हुगली से मिल जाती हैं। बराकर इसकी मुख्य सहायक नदी है। कभी इसको बंगाल के दु: ख के रूप में जाना जाता था पर अब दामोदर को दामोदर घाटी निगम द्वारा एक बहुउद्देशीय परियोजना में परिवर्तित किया गया है।
सरयू नदी - जो नेपाल हिमालय के मिलान ग्लेशियर से निकलती है जहां यह गौरीगंगा के रुप में जानी जाती है. हिमालय से निकलकर उत्तरी भारत के गंगा मैदान में बहने वाली सरयू बलिया और छपरा के बीच गंगा में मिल जाती है. इसकी लंबाई 350 किमी. है. सरयू को ऊपरी भाग में काली नदी के नाम से भी जाना जाता है. सरयू नदी की प्रमुख सहायक नदी राप्ती है. जो उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला के बरहज नामक स्थान पर मिलती है. वहीं राप्ती तंत्र की अन्य नदियां आमी, जाह्नवी इत्यादी हैं जिनका जल भी सरयू में ही जाता है.
महानंदा - जो दार्जिलिंग हिल्स से निकलती है. जिनकी लंबाई 360 किमी है, यह पश्चिम बंगाल में गंगा के अंतिम बाएं किनारे पर सहायक नदी के रूप में मिलती है।
सोन नदी- गंगा नदी के दाहिने किनारे की प्रमुख सहायक नदी है। यह अमरकंटक पठार से निकलने वाली गंगा के दक्षिण किनारे की एक बड़ी सहायक नदी है । इसकी लंबाई 780 है. पठार के किनारे पर झरने की एक श्रृंखला बनाने के बाद यह गंगा में शामिल होने के लिए ये पटना के पश्चिम आरा तक पहुँचती है। तो जीवन दायिनी गंगा देश की कई नदियों को अपने साथ लेकर गंगा सागर में जाकर मिल जाती है. लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि ये सभी नदियां देश के हर कोने को सींचीत करती हैं। प्रकृति ने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए इनके उद्गम और समागम को बड़े ही ध्यान से गढ़ा है। लेकिन आज देश की सभी नदियों पर घोर संकट आ गया है और उसके लिए जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि हम और आप हैं। अगले ब्लॉग में हम आपको बतायेंगे कि आखिर कैसे जीवन दायिनी गंगा संकट में आ गई हैं वो कौन लोग हैं जो गंगा की अविरलता और निर्मलता को खतरा पहुंचा रहे हैं। गंगा में प्रदुषण का स्तर क्या है, सरकार क्या कर रही है. हमें और आपको क्या करना चाहिए।