खेतीबाड़ी में मिट्टी की बहुत अहमियत होती है। इस समय गर्मी का मौसम चल रहा है, सूरज की रोशनी सीधे धरती पर पड़ती है, जिससे भूमि का ताप कई गुना बढ़ जाता है, खेती में इस मौसम का भी बड़ा महत्व है। वर्तमान में आधुनिक तरीके से खेती की जा रही है, इससे किसानों को काफी फायदा मिला है, फसल की उपज भी बढ़ गई है लेकिन खेती में लागत भी काफी बढ़ गई है। किसान अगर गेहूं की कटाई के बाद सनई, ढैंचा, लोबिया, मूंग और ग्वार इत्यादि नहीं लगा रहे हैं तो खेतों की गहरी जुताई कर कुछ समय के लिए छोड़ना लाभदायक होगा।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि रबी की फसल यानि गेहूं की कटाई के बाद किसान खेतों में 12 इंच तक या 20 से 30 सेंटीमीटर तक गहरी जुताई कर छोड़ दें, वहीं खेत में खरपतवार होने की स्थिति में 10 से 15 दिन के अंतराल में दोबारा जुताई करें और खेत में कीट-पतंगे नष्ट करने के लिए सुबह सात से 11 बजे तक और शाम चार से छह बजे तक गहरी जुताई करें। दरअसल इस समय कीटों के प्राकृतिक शत्रु परभक्षी पक्षी ज्यादा सक्रिय रहते हैं। जो कीटों और लार्वा को खा जाते हैं। जुताई किसी भी मिट्टी पलटने वाले हल से ढलान के विपरीत करनी चाहिए। लेकिन बारानी यानि वर्षा आधारित इलाकों में जुताई करते समय किसान इस बात का ध्यान रखें कि बारिश के साथ मिट्टी न बहने पाये। इसलिए खेतों में हल चलाते समय खेत का ढलान पूर्व से पश्चिम दिशा की तरफ हो, तो जुताई उत्तर से दक्षिण की ओर यानी ढलान के विपरीत ढलान को काटते हुए करनी चाहिए। इस तरह से जुताई करने से बारिश का बहुत सारा पानी मिट्टी सोख लेती है और पानी जमीन की नीचे तक पहुंच जाता है, जिससे न केवल मिट्टी का कटाव रुकता है बल्कि पोषक तत्व भी बहकर बर्बाद नहीं होते।
जुताई के समय ध्यान रखें कि मिट्टी के ढेले बड़े- बड़े रहें और मिट्टी भुरभुरी न होने पाए नहीं तो गर्मियों में तेज हवा के साथ मिट्टी के कण के बहने की समस्या बढ़ जाती है। साथ ही वर्षा आधारित इलाके में जुताई करते समय इस बात का भी ख्याल रखना जरूरी है कि फसल अवशेषों की जमीन पर पर्त न बनने दें। इससे मिट्टी को बारिश से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। ज्यादा रेतीले इलाकों में गर्मी के समय जुताई बिल्कुल न करें, खेत में जुताई से पहले गोबर की खाद डालें। बता दें बुवाई से पहले खेत की मिट्टी को ऊपर-नीचे करना जुताई कहलाता है। दरअसल खेत की कठोर परत को तोड़कर मिट्टी को जड़ों के विकास के अनुकूल बनाने के लिए गर्मियों में गहरी जुताई की जाती है। इसे आप मिट्टी पलटने वाले हल या अन्य किसी आधुनिक कृषि यंत्र से कर सकते हैं। इसके बाद जब खरीफ यानि धान की रोपाई करने का समय आये तो किसान खेती के लिए आधुनिक कृषि यंत्र भी अपना सकते हैं। इससे उन्हें गहरी जुताई से होने वाला फायदा भी मिल जाएगा और आधुनिक विधि से खेती कर अधिक उपज भी ले सकते हैं।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मियों में गहरी जुताई करने से नींचे की मिटटी ऊपर आ जाती है। गहरी जुताई में मिट्टी के बड़े-बड़े ढेले निकलते हैं और मिट्टी में छिपे हानिकारक कीड़े-मकोड़े, उनके अंडे और लार्वा गहरी जुताई के बाद सूर्य के संपर्क में आने से नष्ट हो जाते हैं। फसलों में कीटों और रोगों का प्रकोप कम हो जाता है। जिससे फसल बीमारी से मुक्त होती है। गहरी जुताई से मिट्टी में वायु का संचार बढ़ जाता है, जो लाभकारी सूक्ष्म जीवों की बढ़ोत्तरी में सहायक होते हैं। गहरी जुताई से जल, वायु और मिट्टी का प्रदूषण कम होता है, मिट्टी की भौतिक और रासायनिक दशा में सुधार आता है। साथ ही मिट्टी में पानी धारण करने की क्षमता बढ़ती है..जिससे आगामी सीजन में बोई जाने वाली फसल के लिए फायदा रहता है और फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खरीफ फसलों के उत्पादन के लिए गर्मियों की जुताई सबसे अहम होती है। जुताई का समय रबी फसल कटाई के तत्काल बाद से लेकर मई के अंत तक उपयुक्त माना गया है.. तय अवधि में जुताई करने पर 50 फीसद तक फसलों की पैदावार बढ़ सकती है साथ ही तय अवधि में पौधे पर फलियां और सिट्टे (भुट्टे) भी आ जाएंगे। अंतिम समय तक पौधों की जड़ें खराब नहीं होगी तो फसलों में पकाव भी अच्छा होगा। साथ ही विशेषज्ञों कहना कि गर्मियों की गहरी जुताई से खेत में लंबे समय तक नमी बनी रहेगी और फसलों को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होगी। वहीं जब गेहूं को हार्वेस्टर से काटा जाता है तो उसमे बहुत बड़ी नरवाई यानि फसल के अवशेष खेत में रह जाते हैं जिसके चलते किसान गहरी जुताई न कराके खेत में पड़े नरवाई में आग लगा देते है। किसानों का मानना है कि आग की गर्मी भी कीड़ों को मारने में सहायक होती है।
बता दें रबी की फसल जैसे गेहूं, जौ,आलू, चना, मसूर, अलसी, मटर और सरसों की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई खरीफ की फसल के लिए भी लाभदायक है। गहरी जुताई मई और जून में मानसून आने से पहले की जाती है। इस जुताई से अनेक फायदे होते है। गहरी जुताई करने के लिए मोल्डबोर्ड हल, डिस्क हल, सब सॉयलर, कल्टीवेटर जैसे कृषि यंत्रों को प्रयोग में ले सकते हैं। मानसून की पहली बारिश में ही खेतों को वातावरण की 78 प्रतिशत नाइट्रोजन प्राप्त होती है। गर्मी की गहरी जुताई करने से हमारे खेत पर बचे फसल अवशेष अच्छी तरह मिट्टी के साथ मिलकर सड़ जाते हैं और यह अपशिष्ट अपघटित होकर कार्बनिक अवयव, ह्यूमिक एसिड आदि का निर्माण करते हैं।
वहीं अक्सर देखा जाता है कि किसान जानकारी के अभाव में खेत की जुताई का काम बुवाई के ठीक पहले करते हैं, जबकि खरीफ की फसल के अच्छे उत्पादन के लिए रबी की फसल कटने के तुरंत बाद खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए...बता दें पिछले एक महीने से वातावरण में गर्मी की अधिकता हो गई है...तापमान दिन में 44 डिग्री सेल्सियस चल रहा है। साथ ही रात में भी तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा रहा है। जिसके कारण वातावरण में गर्मी तेज है। और ऐसे में खेतों की गहरी जुताई खरीफ फसल के लिए फायदे का सौदा है।