पंचायतों को चाहिए समावेशी विकास पंचायतों को चाहिए समावेशी विकास

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पंचायतों को चाहिए समावेशी विकास

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए देश में समावेशी विकास को बढ़ावा देना आवश्यक है। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना था। इसी उद्देश्य़ को देखते हुए भारत ने पंचायती राज प्रणाली को अंगीकार किया और इसे संवैधानिक रूप दिया गया। भारत सरकार वित्तीय बाधाओं के बावजूद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर लगातार अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। सरकार का उद्देश्य ग्रामीण आवास और बुनियादी ढांचे, खेतिहर आय, रोजगार सृजन के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।

वर्तमान सरकार ने ग्रामीण विकास कार्यक्रम के एजेंडा को मूर्त रूप देने के लिए- “सबका साथ, सबका विकास’ (समावेशी विकास) का लक्ष्य रखा है जो यह सुनिश्चित करता है कि सरकार की योजनाओं का लाभ गरीब और वंचित वर्गों तक पहुंचे।

समावेशी विकास के लिए सरकार की तैयारी

ग्रामीण विकास के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाओं का प्रावधान करके अपना उद्देश्य जाहिर कर दिया है। देश में ग्रामीण विकास के लिए बड़े पैमाने पर बजट आवंटित किया गया। वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान बजट में जहां ग्रामीण विकास के लिए 80194 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था वहीं वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान इसे बढ़ाकर 87765 करोड़ रुपये कर दिया गया। साथ ही ग्रामीण कृषि और संबधित क्षेत्रों के लिए 1.87 लाख करोड़ रूपये का आवंटन किया गया।

सरकार ने इस बात को पूरी तरह से स्वीकार किया है कि लोगों के लिए आवास और बुनियादी सुविधाएं आर्थिक विकास का एक मुख्य घटक है। इसके लिए सरकार ने शुरुआत से ही बजटीय आवंटन में इस पर ध्यान केंद्रित किया। सरकार ने 2014-15 के अपने अंतरिम बजट में राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) के आवंटन में 8,000 करोड़ रुपये तक की बढ़ोत्तरी कर दी जिसका प्रमुख लक्ष्य सरकार के अग्रणी कार्यक्रम “आवास योजना” को 2022 तक सभी को प्रदान करना है।

सरकार की दीन दयाल उपाध्याय ज्योति योजना के तहत लोगों के जीवन को रोशन करने की तैयारी है। इस योजना का उद्देश्य सस्ती दरों पर बिजली प्रदान करना और बिजली की आपूर्ति बढ़ाने के लिए हरित ऊर्जा, स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करना है। 2017- 18 के बजट में सरकार ने मई 2018 तक सभी गांवों का विद्युतीकरण करने का लक्ष्य रखा था जो बहुत हद तक पूरा कर लिया गया। 2016-17 के दौरान हरित ऊर्जा की क्षमता में 50 गीगावाट की क्षमता स्थापित करके सरकार ने एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है जो लगभग तापीय ऊर्जा के बराबर है। सरकार का लक्ष्य 2022 के अंत तक अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता को 175000 मेगावाट के स्तर पर पहुंचाने का है।

विकास के लिए रोड नेटवर्क की सबसे ज्यादा जरूरत होती है इसीलिए बुनियादी ग्रामीण ढांचे को बढ़ावा देने और ग्रामीण क्षेत्रों में एकीकृत परियोजना आधारित बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी अर्बन मिशन की शुरूआत की गयी। इसके लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत गांवो को सड़क से जोड़ने के लिए 14389 करोड़ रुपये का एक अलग बजटीय आवंटन किया गया।