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कम लागत में मिट्टी की जांच कराएं, फसल की पैदावार बढ़ाएं

हमारे देश में कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें मिलने वाले रोजगारों के विकल्प अन्य सेक्टरों से कहीं अधिक हैं। मिट्टी का हमारे जीवन में बहुत ही अहम महत्व है। मिट्टी से ही खेतों में फसल की अच्छी पैदावार होती है और तो और जैसे इंसान जल के बिना नहीं रह सकता है ठीक वैसे ही मिट्टी हमारे जीवन में अनमोल है लेकिन आज हम हर दिन मिट्टी को खराब करते जा रहे हैं। खेतों में हानिकारक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल और जमीन में फैलने वाले प्रदूषण से मिट्टी की सेहत लगातार खराब हो रही है। इसका असर मानव जीवन पर बिल्कुल साफ देखने को मिल रहा है। मिट्टी की सेहत में सुधार के लिए मिट्टी की जांच कराना अति आवश्यक हो गया है। कृषि वैज्ञानिक किसानों को इसके लिए जागरूक कर रहें हैं। हम आपको बताते हैं कि कहां पर और कैसे मिट्टी की जांच कराएं।

मिट्टी को उपजाऊ बनाने के तरीके जानिए

आम तौर पर हमारे देश में तीन तरह की मिट्टी में खेती की जाती है। पहला चिकनी मिट्टी, दूसरा रेतीली मिट्टी और तीसरा दोमट मिट्टी पर। चिकनी मिट्टी में पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं लेकिन इसमें पानी देर तक बना रहता है। रेतीली मिट्टी से पानी जल्दी निकल जाता है लेकिन इसमें खनिज तत्व कम मात्रा में पाये जाते हैं और ये क्षारीय होता है। जबकि दोमट मिट्टी खेती के लिए सबसे अधिक उपजाऊ होती है। इसमें खनिज तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं और इसमें पानी जल्दी सूख जाता है लेकिन नमी काफी समय तक बनी रहती है। बता दें मिट्टी में कई पोषक तत्व पाये जाते हैं जो फसलों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। मुख्य पोषक तत्वों में जैसे कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, फास्फोरस, नाइट्रोजन, मैग्नीशियम, पोटास, कैल्शियम के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे तांबा, लोहा, मैगनीज, जस्ता, बोरॉन आदि की मात्रा पाई जाती है। किसान कृषि विज्ञान केंद्रों पर मिट्टी की जांच करवाकर मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की कमियों को दूर कर सकते हैं।

आप खेतों में फसल की उपज बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्रवरकों का इस्तेमाल कीजिए, लेकिन कम से कम इतनी जानकारी तो कर लीजिए, कि आपकी मिट्टी को चाहिए क्या ? दरअसल आपकी मिट्टी में आखिर किन चीजों की कमी या अधिकता है, इसको जानने के बाद ही तो आप उसकी सेहत सुधार सकते हैं। और ये पता चलेगा मिट्टी की जांच से जिसके लिए आपको अपनी मिट्टी के नमूने प्रयोगशाला में भेजने होंगे। इस तरह की जांच के लिए सरकारी स्तर पर तो लैब हैं ही, लेकिन अब सहकारी क्षेत्र की संस्थाएं आगे आ रही हैं।

अब आपको बताते हैं कि मिट्टी की जांच करना किसे कहते हैं ?

खेत की मिट्टी में फसल की समुचित बढ़ोत्तरी और उनके विकास के लिए पोषक तत्वों की उपलब्ध मात्रा जैसे भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों का रासायनिक परीक्षणों के आंकलन करने के साथ ही मिट्टी में मौजूद लवणीयता, क्षारीयता और अम्लीयता की जांच करना मिट्टी जांच कहलाता है। मिट्टी की जांच के लिये मिट्टी के नमूने को बुवाई से लगभग एक महीने पहले प्रयोगशाला में भेंज दें, जिससे मिट्टी की जांच की रिपोर्ट फसल की बुवाई से पहले मिल जाये। मिट्टी के पीएच, विद्युत चालकता और कार्बनिक पदार्थ को प्रत्येक मौसम में और सूक्ष्म पोषक तत्वों की एक से दो साल के अन्तराल पर जांच कराना चाहिए। मिट्टी की जांच के लिए खुरपी, फावडा, बाल्टी, ट्रे, कपड़े, प्लास्टिक की थैलियां , पेन, धागा, सूचना पत्रक, और कार्ड आदि की जरूरत होती है।

जानिए मिट्टी का नमूना लेते समय किन बातों का ध्यान रखें ?

जिस खेत में मिट्टी का नमूना लेना हो, उसमें जिग-जैग यानी लेफ्ट और राइट में 10-15 जगहों पर घूमकर निशान बना लें, जिससे कि खेत के सभी हिस्से उसमें शामिल हो जाएं। और चुने गये स्थानों की ऊपरी सतह से घास-फूस, कूड़ा-करकट आदि हटा दें। इन सभी जगहों पर 15 सेंटीमीटर या 6 से 9 इंच तक गहरा वी आकार का गङ्ढा खोद लें। गड्ढे को साफ कर खुरपी से एक तरफ ऊपर से नींचे तक 2 सेंटीमीटर मोटी मिट्टी की परत को निकाल लें, उसे साफ बाल्टी या ट्रे में डाल लें। और एकत्रित की गई पूरी मिट्टी को हाथ से अच्छी तरह मिला लें, फिर उसे साफ कपड़े पर डालकर गोलाकार ढेर बना लें। ढेर को चार बराबर भागों में लें, फिर शेष दो भागों की मिट्टी को अच्छी तरह से हाथों से मिला लें या गोल बनाएं, बाकी बचे दो भागों को फेंक दें, और ये प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक कि लगभग आधा किलो मिट्टी शेष न रह जाये । इसके बाद सूखे मिट्टी के नमूने को साफ प्लास्टिक थैली में रखें या इसे एक कपड़े की थैली में डालकर इसे परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेज दें।

किसान भाई इन प्रयोगशालाओं में मिट्टी के पीएच, ईसी, ऑर्गेनिक कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस,पोटाश, आयरन, जिंक,मैंग्नीज और लवणों की मात्रा कितनी फीसदी है इसकी जांच करवाकर जरूरत के हिसाब से रासायनिक उर्रवरकों का प्रयोग कर सकते हैं। इन प्रयोगशालाओं में मिट्टी की जांच की फीस बहुत कम रखी गई है।

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि 21वीं सदी के अंत तक देश को अपनी बढ़ती आबादी के लिए पर्याप्त भोजन मुहैया करवाना है तो हमें मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के साथ ऐसी फसलों का उत्तम उत्पादन करना होगा जो प्रतिकूल यानी विपरीत दशा में भी हमें खाद्य सुरक्षा दे सके। सरल शब्दों में कहें तो ये तब संभव होगा जब किसान खेतीबाड़ी में मिट्टी की अहमियत को समझें। बता दें पौधे के विकास के लिए कुल 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है। अधिक पैदावार और लाभ लेने के लिए उर्वरकों का संतुलित मात्रा में प्रयोग आवश्यक है। उर्वरकों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करने के लिए मिट्टी का परीक्षण करवाना आवश्यक है।