उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के स्थापना दिवस के अवसर पर उपकार की 33 वर्षों की शानदार यात्रा के लिए सभी को बधाई दी। उन्होंने प्रदेश के किसानों को कृषि विविधीकरण के द्वारा विषमुक्त खाद्यान्न उत्पादन के लिए गौ आधारित प्राकृतिक खेती अपनाने का आह्वान किया। योगी आदित्यनाथ उपकार तथा भाकृअनुप और भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में “सतत कृषि के लिए अभिनव दृष्टिकोण” विषय पर भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में वर्चुअल मोड में व्याख्यान दे रहे थे।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में देश की कृषि योग्य भूमि का मात्र 12 प्रतिशत क्षेत्र होने के बावजूद प्रदेश में निवास कर रही देश की 17 प्रतिशत आबादी के साथ देश की कुल 30 प्रतिशत आबादी को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के किसानों का आभार व्यक्त किया। योगी ने उत्तर प्रदेश के चार कृषि विश्वविद्यालयों तथा 90 केवीके द्वारा फसल विविधीकरण हेतु किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित श्री सूर्य प्रताप शाही, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री, उत्तर प्रदेश ने किसानों को प्रदेश में खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन की बधाई देते हुए भारत में वैदिक काल से प्रचलित प्राकृतिक खेती को अपनाकर माननीय प्रधान मंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजना को धरातल पर साकार करने का आह्वान किया।
शाही ने कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषकों से उत्तर प्रदेश में दलहनी व तिलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाकर प्रदेश को इनके उत्पादन में भी वृद्धि करके शीघ्र ही आत्मनिर्भर बनाने को कहा। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित बलदेव सिंह औलख, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश ने उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के कार्यों एवं उपलब्धियों की विस्तार से चर्चा करते हुए किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाकर उत्पादन लागत को घटाकर तथा कृषि उत्पादन को बढ़ाकर अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि करने हेतु प्रेरित किया। इस अवसर पर डॉ. ए.के. सिंह, उप महानिदेशक (कृषि प्रसार), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने अपने प्लेनरी व्याख्यान में प्रदेश में श्रम, जल, ऊर्जा जैसे संसाधनों की कमी, मृदा, जल व पर्यावरण जैसे संसाधनों के अपघटन, उत्पादन लागत में हो रही वृद्धि, शुद्ध लाभ में हो रही कमी तथा जलवायु परिवर्तन के खतरों को प्रमुख चुनौतियाँ बताते हुए रणनीतिक योजना बनाने की आवश्यकता जताई।
डॉ. अश्विनी दत्त पाठक, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ ने अपने सम्बोधन में स्मार्ट कृषि को सतत कृषि उत्पादन हेतु समय की आवश्यकता बताया। इस अवसर पर पदमश्री भारत भूषण त्यागी, पदमश्री राम सरन वर्मा सहित प्रदेश भर के 20 अन्य प्रगतिशील कृषकों को कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रमाणपत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।
इस अवसर पर डॉ देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव, कृषि, कृषि शिक्षा व अनुसंधान विभाग, उत्तर प्रदेश; डॉ संजय सिंह, महानिदेशक, उपकार, लखनऊ; डॉ. एन.पी. सिंह, कुलपति, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा तथा डॉ. राजेश सिंह, कुलपति, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर सहित देश भर के 200 से अधिक लब्ध-प्रतिष्ठ वैज्ञानिक उपस्थित थे। इस अवसर पर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। उदघाटन कार्यक्रम के समापन पर कैप्टन विकास गुप्ता, अध्यक्ष, उपकार तथा संगोष्ठी के समापन पर श्री पी.के. शर्मा, सचिव, उपकार ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनीता सावनानी ने किया।