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स्वशासन के उद्देश्य को प्रभावित करती खाप पंचायत

देश में शक्ति के विकेंद्रीकरण और लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से पंचायती राज व्यवस्था शुरू की गई थी। ताकि स्थानीय स्वशासन को मजबूत किया जा सके और लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति की जा सके, लेकिन पंचायती राज व्यवस्था के समानांतर देश में एक ऐसी व्यवस्था भी है जो स्थानीय स्वशासन को प्रभावित करती रही है। खाप पंचायतें एक ऐसी व्यवस्था है जो गांव में लोगों के समूह के द्वारा तथाकथित न्यायालय, 'सम्मान के संरक्षक' के रूप में कार्य करती हैं। खाप पंचायत के फैसले पूरी तरह सामंती और पितृसत्तात्मक होते हैं। यह व्यवस्था मध्यकाल से अब तक कायम है। खाप पंचायतें एक परिवार के सम्मान, एक कबीले के सम्मान और एक गाँव के सम्मान को बनाए रखने के लिए कई बर्बर कृत्यों का उदाहरण पेश कर चुकी हैं। खाप पंचायतों ने मुख्य रूप से उच्च और मध्यम जाति के जमींदारों से बनी जाति पंचायतों के रूप में काम किया है। ये व्यवस्था राज्य की न्यायपालिका के समानांतर न्यायिक इकाइयों के रूप में कार्य करती है और गरीबों को अपने अधीन करके शक्ति का प्रयोग करने पर जोर देती है। खाप पंचायत जिसे जाति पंचायत भी कहते हैं जो पहले एक सामाजिक दृष्टिकोण के साथ विश्वसनीय निकाय के रूप में कार्य करती थी लेकिन अब इस व्यवस्था का राजनीतिकरण हो गया है। हमारे देश को आजाद हुए 70 साल से ज्यादा हो चुके हैं, देश की न्यायपालिका एक लंबा सफर तय कर चुकी है लेकिन हमारे समाज को गैरकानूनी और असंवैधानिक न्याय देने में यह खाप व्यवस्था हमेशा से चर्चा में रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि खाप शब्द शक भाषा के खत्रप शब्द से लिया गया है, जो एक कबील विशिष्ट क्षेत्र को दर्शाता है। एक खाप को 84 गांवों के समूह को राजनीतिक इकाई के रूप में वर्णित किया गया है। भारत में ज्यादातर खाप पंचायतें पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में मौजूद हैं लेकिन यह हरियाणा के रोहतक, झज्जर, सोनीपत, भिवानी, करनाल, जींद, कैथल और हिसार जिलों में सबसे व्यापक हैं। दहिया को अब तक का सबसे बड़ा खाप माना जाता है। जाट समुदाय में दहिया का कबीला सबसे बड़ा है जिसमें 50 से ज्यादा गांव शामिल हैं।

खाप व्यवस्था का भयानक सच

कन्या भ्रूण हत्या-

साल 2000 के बाद के वर्षों में कन्या भ्रूण हत्या के मामले में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई थी और इसमें खाप पंचायतों द्वारा निभाई गई भूमिका महत्वपूर्ण थी। कन्या भ्रूण हत्या के खतरे से हरियाणा राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था जिसका परिणाम यह हुआ कि यहां प्रति एक हजार पुरुषों पर 722 महिलाएं थीं। खापों ने प्रचारित किया कि बालिका का जन्म पाप है इसलिए पारंपरिक तौर पर नागरिकों ने बालिकाओं की हत्या का सहारा लिया।

प्यार करने वालों की हत्या करना-

जो जोड़े अपने परिवारों की सहमति के बिना अंतर्जातीय और अंतर-धार्मिक विवाह करते हैं उन जोड़े को खाप पंचायत द्वारा परेशान किया गया, बर्बर तरीके से हत्या की गई, पारिवारिक सम्मान के लिए महिलाओं को जला दिया गया। ऑनर किलिंग पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी यूपी के गांवों में बहुत प्रचलित रही है।