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दिन-ब-दिन मैली हो रही है गंगा

भारतीय जन-मानस की आस्था का जीवंत प्रतीक है गंगा नदी। गंगा जिसे भारत में मां की उपाधि से नवाजा गया है। गंगा भारत की सबसे बड़ी नदी है जो धार्मिक महत्व के साथ देश के 11 राज्यों में भारत की आबादी के 40 प्रतिशत लोगों को पानी उपलब्ध कराती है। गंगा भारत की जीवनरेखा है जो गंगोत्री से अवतरित होती है लेकिन आज दिन-प्रतिदिन मैली होती जा रही है। आलम ये है कि गंगाजल की स्थिति धीरे-धीरे ऐसी होती जा रही है कि गंगा में स्नान भी स्वास्थ्य के लिए बेहद ही खतरनाक हो गया है। गंगा दुनिया की छठी सबसे प्रदूषित नदी मानी जाती है। जो चिंता का विषय बन गया है, गंगा को साफ करने के लिए केंद्र सरकार ने मिशन नमामि गंगे प्रोजेक्ट की भी शुरुआत की लेकिन इसका असर ज्यादा नहीं दिखा। हालांकि कोरोना काल में जब सब कुछ बंद हो गया था तो गंगा जरूर अपने असली रुप में आ गई थीं, लेकिन एक बार फिर गंगा मैली होती जा रही है।

हरिद्वार से मैली गंगा की शुरुआत

गंगा पहाड़ों के दुर्गम रास्ते को पार करते हुए पहली बार हरिद्वार में जमीन को स्पर्श करती हैं, जहां हर की पौड़ी पर रोजाना हजारों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं और यहीं से गंगा का जल ही दूषित होना शुरू हो जाता है। हरिद्वार में गंगा की हालत इतनी दयनीय है कि तमाम नाले सीधे गंगा में जा रहे हैं। राज्य की तमाम सरकारों ने गंगा को तवज्जो देते हुए कर्इ प्रभावी कदम उठाए हैं बावजूद इसके हरिद्वार में दिन प्रतिदिन गंगा मैली होती जा रही है। हरिद्वार के चंडी घाट पर लंबे समय से प्रथा रही है कि साधु-संतों का अगर निधन होता है तो उन्हें गंगा जी में जल समाधि दी जाती है। ऐसे में गंगा किनारे बिखरे पड़े गंदे समान और साधु-संतों के साथ-साथ अन्य लोगों के शवों को भी गंगा में ऐसे ही फेंक दिया जाता है। कई बार तो गंगा में पालतू और जंगली जानवरों के शवों को भी बहते देखा जा सकता है। ऐसे में गंगा की हालत बद से बदतर होती जा रही है।

गंगा में प्रदूषण का प्रमुख कारण

वैसे तो गंगा में प्रदूषण के कई कारण हैं लेकिन औद्योगिक अपशिष्टों का गंगा में प्रवाहित होना सबसे बड़ा कारण है। एक अनुमान के मुताबिक गंगा में रोजाना 2 करोड़ 90 लाख लीटर प्रदूषित कचरा सीधे गिराया जाता है। कानपुर उन्नाव में गंगा किनारे बने अनगिनत टेनरीज, रसायन संयंत्र, कपड़ा मिलों, डिस्टिलरी, बूचड़खानों और अस्पतालों का अपशिष्ट गंगा में वैसे ही फेंक दिया जाता है। औद्योगिक कचरे के साथ-साथ प्लास्टिक कचरे की वजह से भी गंगाजल दूषित हो रहा है। वहीं गंगा किनारे निवास करने वाले लोगों द्वारा नहाने, कपड़े धोने, सार्वजनिक शौच की तरह उपयोग करने की वजह से भी गंगा दूषित हो रही है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार गंगा के जल में आर्सेनिक, फ्लोराइड एवं क्रोमियम जैसे जहरीले तत्व बड़ी मात्रा में मिलने लगे है जिससे गंगाजल न पीने के योग्य रहा, न स्नान के योग्य और न ही सिंचाई के योग्य रहा है।

गंगा प्रदूषण के अन्‍य कारण

  • गंगा विश्‍व की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। गंगा मिट्टी के साथ-साथ औद्योगिक कचरा और सीवेज भी अपनी धारा में समेटने को बाध्‍य है।
  • गंगा के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है कल-कारखानों के जहरीले रसायनों को सीधे गंगा में गिराया जाना। कानून बनने के बाद भी हजारों प्रदूषणकारी औद्योगिक इकाइयों का कचरा और जहरीला रसायन आज भी गंगा में मिल रहा है।
  • जब कारखानों या थर्मल पावर स्‍टेशनों का गर्म पानी तथा रसायन या काला या रंगीन पानी नदी में मिल जाता है तो नदी के पानी को जहरीला बनाने के साथ नदी के खुद के शुद्धिकरण की क्षमता को नष्‍ट कर देता है। उद्योगों के प्रदूषण के कारण गंगा में जगह-जगह डेड जोन बन गए हैं। कहीं आधा, कहीं एक तो कहीं दो किलोमीटर के डेडजोन मिलते हैं। यहां से गुजरने वाला कोई भी जीव-जंतु या वनस्‍पति जीवित नहीं बचती।
  • खेती में प्रयोग होने वाली रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग भी खतरनाक है। ये रसायन बरसात के समय बहकर नदी में पहुंच जाते हैं।

वहीं भारतीयों का धार्मिक मान्यताओं से जुड़ाव भी गंगा में प्रदुषण का बड़ा कारण है। गंगा में केवल वाराणसी में ही 33 हजार से अधिक शवों के दाह के बाद 700 टन से अधिक राख और अधजले शव या कंकाल बहा दिये जाते हैं। गंगा में बड़ी संख्‍या में बिना जलाए शव भी प्रवाहित किए जाते हैं।

  • गंगा प्रदूषण का एक प्रमुख कारण रेत खनन भी है। खनन करने वाले लोग रेत तो निकाल लेते हैं लेकिन मिट्टी को जस के तस छोड़ देते हैं ।
  • जगह-जगह बांध बना देने से भी गंगा की अविरलता को क्षति पहुंच रही है जो प्रदुषण का बड़ा कारण है। बांधों और बैराजों के कारण नदी की स्‍वाभाविक प्रक्रिया भी अवरुद्ध होती है। यही कारण है कि गंगा शुरूआत से प्रदूषित हो रही है।
  • गंगा में कई स्‍थानों पर राफ्टिंग और अन्‍य व्यावसायिक कार्य हो रहे हैं। इस कारण भी गंगा प्रदूषित हो रही है।

इन्हीं सब वजहों से गंगा दूषित हो रही हैं जिसका समाधान नहीं निकल पा रहा है। अगले ब्लॉग में हम आपको बताएंगे गंगा की सफाई के लिए अब तक की सरकारों ने क्या-क्या कदम उठाएं हैं, कितना पैसा खर्च हुआ है और उसका असर क्या है।