देश में चावल हर घर का भोजन है। कहा जाता है कि चावल से शरीर का वजन भी बढ़ता है। जब भी खान-पान की बात होती है तो उसमें किसी भी तरह का कोई कम्प्रोमाइज करना नहीं चाहता है। हर कोई अपने आहार में बेस्ट चीजें शामिल करना चाहता है। भारत की आधी आबादी चावल खाना पसंद करती है। आज हम बासमती चावल की उन पारंपरिक किस्मों की बात करेंगे जो भारत में आज भी अपने स्वाद की वजह से अलग पहचान रखती हैं। बासमती, लम्बे चावल की एक उत्कृष्ट किस्म है। भारत में 6 हजार से ज्यादा चावल की किस्में उगाई जाती हैं। इसमें बासमती चावल अपनी अनूठी सुगन्ध के लिए सबसे ज्यादा प्रचलित है। देश में बासमती चावल की 34 किस्में उगाई जाती हैं।
आपको बता दें बीज अधिनियम, 1966 के अधीन अब तक बासमती चावल की 34 किस्में अधिसूचित की गई हैं। बासमती चावल की प्रमुख किस्में, बासमती 217, बासमती 370, टाइप 3 (देहरादूनी बासमती), पंजाब बासमती 1 (बउनी बासमती), पूसा बासमती 1, कस्तूरी, हरियाणा बासमती 1, माही सुगंधा, तरोरी बासमती (एचबीसी 19 या करनाल लोकल), रणबीर बासमती, बासमती 386, इम्प्रूव्ड पूसा बासमती 1 (पूसा 1460), पूसा बासमती 1121, वल्लभ बासमती 22, पूसा बासमती 6 (पूसा 1401), पंजाब बासमती 2, बासमती सीएसआर 30 (संशोधन के पश्चात), मालवीय बासमती 10-9, वल्लभ बासमती 21, पूसा बासमती 1509, बासमती 564, वल्लभ बासमती 23, वल्लभ बासमती 24, पूसा बासमती 1609, पंत बासमती 1, पंत बासमती 2, पंजाब बासमती 3, पूसा बासमती 1637, पूसा बासमती 1728, पूसा बासमती 1718, पंजाब बासमती 4, पंजाब बासमती 5, हरियाणा बासमती 2 और पूसा बासमती 1692 हैं।
देश के बासमती चावल की मांग पूरे विश्व में है। हमारे देश में बासमती की कई किस्में हैं जिसकी खेती किसान करते हैं। आज हम आपको बासमती धान की टॉप 8 वैरायटी के बारे में बता रहे हैं। जिसकी खेती करके आप अच्छी पैदावार ले सकते हैं। तो आइए APPA के प्रोग्रेसिव एग्रीकल्चर कार्यक्रम में इसकी विस्तार से जानकारी देते हैं।
सबसे पहले पूसा बासमती- 1121 की बात करते हैं। पूसा बासमती- 1121 धान की ये किस्म जल्दी पककर तैयार हो जाती है। इसे पककर तैयार होने में 140 से 145 दिन का समय लगता है। इसके तने अधिक लंबे और मजबूत होते हैं। ये अर्ध बौनी किस्म है। इसके पौधे की ऊंचाई 110 से 120 सेंटीमीटर तक होती है और औसतन इसकी पैदावार 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है। इसकी खेती मुख्य रुप से पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में की जाती है।
दूसरे नंबर पर पूसा बासमती- 1 है। इस किस्म में चावल के दाने मध्यम लंबे और मजबूत होते हैं। ये भी अर्ध बौनी किस्म है। पूसा बासमती- 1, 145 से 155 दिन में पक कर तैयार हो जाती है इसके पौधे की ऊंचाई 155 सेंटी मीटर तक होती है। औसतन इसकी पैदावार 39 से 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। इसकी सबसे अधिक खेती हरियाणा, दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश में की जाती है।
तीसरे नंबर पर पूसा बासमती- 6 की बात करते हैं। इस किस्म के दाने सुगंधित, एक समान होते हैं। ये भी मध्यम बौनी किस्म है। ये 135 से 145 दिन में पक कर तैयार होती है और इसके पौधे की ऊंचाई 145 सेंटीमीटर तक होती है। औसतन पैदावार 42 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तराखंड तथा उत्तर प्रदेश में मुख्य तौर पर की जाती है।
चौथे नंबर पंजाब बासमती- 2 की बात करते हैं। इसके दाने अधिक लंबे नरम तथा पतले होते हैं। ये 140 दिन में पककर तैयार होती है इसके पौधे की ऊंचाई 125 सेंटी मीटर तक होती है। ये धान कई मुख्य रोगों के प्रति सहनशील है। औसतन इसकी पैदावार 32 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
चौथे नंबर पंजाब बासमती- 2 की बात करते हैं। इसके दाने अधिक लंबे नरम तथा पतले होते हैं। ये 140 दिन में पककर तैयार होती है इसके पौधे की ऊंचाई 125 सेंटी मीटर तक होती है। ये धान कई मुख्य रोगों के प्रति सहनशील है। औसतन इसकी पैदावार 32 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
और पांचवें नंबर पर पूसा बासमती- 1509 की बात करते हैं ये किस्म किसानों के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय है। इस किस्म के दाने अधिक सुगंधित और सीधे लंबे होते हैं। ये 115 से 120 दिन में पककर तैयार होते है इसके पौधे की ऊंचाई 90 से 100 सेंटीमीटर तक हो जाती है। इसके प्रत्येक पौधे में 22 से 24 कल्ले तक होते हैं। औसतन पैदावार 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। मुख्य तौर पर इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, केरल, तमिलनाडु छत्तीसगढ़ तथा आंध्र प्रदेश में की जाती है।
छठवें नंबर पर पूसा बासमती- 1637 की बात करें तो इस किस्म के दाने सुगंधित होते हैं। ये भी अर्ध बौनी किस्म है। इसकी फसल 130 से 135 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। इसकी प्रत्येक बाली में 70 से 90 दाने तक पाए जाते हैं। और औसतन पैदावार 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है। इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश के साथ उत्तराखंड में मुख्य तौर पर की जाती है।
सातवें नंबर पर पूसा बासमती - 1718 की बात करते हैं। इसके दाने लंबे तथा खाने में स्वादिष्ट होते हैं। ये 135 से 140 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। इसके 1000 दानों का वजन 22 से 24 ग्राम तक होता है और ये गॉल मिज, ब्लास्ट और जीवाणु पत्ती धब्बा रोग प्रतिरोधी किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। मुख्य तौर पर इसकी खेती उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, बिहार तथा तमिलनाडु में की जाती है।
आठवें नंबर पर पूसा बासमती -1728 की बात करें तो इस किस्म के दाने लंबे, वजनदार तथा सुगंधित होते हैं। इसकी फसल 140 से 145 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। फसल पकने के बाद इसके दाने की लंबाई 13.8 मिलीमीटर तक होती है। ये बैक्टीरिया ब्लाइट रोग प्रतिरोधी किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 52 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। मुख्य तौर पर इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल तथा ओडिशा में की जाती है।
एक सर्वे के मुताबिक बासमती धान का रकबा देश के 83 जिलों में 36 फीसदी बढ़ा है। जिसमें सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी उत्तर प्रदेश में हुई और उसके बाद हरियाणा में बासमती का रकबा बढ़ा है। बासमती के कुल रकबे में हरियाणा का योगदान 42 फीसदी, पंजाब का 29 फीसदी, उत्तर प्रदेश का 24 फीसदी, हिमाचल प्रदेश का 24.1 फीसदी और उत्तराखंड का 14.6 फीसदी है। वहीं दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर में रकबा चार फीसदी घटा है।
देश में बासमती चावल के बहुत से विकल्प मिलते हैं। जिसमें से कुछ नकली चावल भी होते हैं। लेकिन बिना अनुभव के नकली और असली बासमती चावल के बीच अंतर समझना असंभव है। अब आइये आपको बासमती चावल की पहचान बताते हैं।
बासमती चावल ओरियेन्टल चावल का एक प्रकार है जिसके दाने लंबे और पतले होते हैं। बासमती चावल की सुगंध, लंबे और पतले दाने इसको सामान्य चावलों से अलग करता है। वास्तविक रुप से बासमती उत्तर भारत के हिमालय के पहाड़ों में पैदा किया जाता है। भारतीय बासमती चावल विश्व में सबसे बेहतरीन माना जाता है।
बासमती चावल पारदर्शी, मलाईदाल सफेद होता है। बासमती ही एकमात्र ऐसा चावल है जो पकने के बाद अपनी लम्बाई का दोगुना हो जाता है। उसकी खुशबू सारे चावलों से अच्छी होती है। बासमती चावल का स्वाद मीठा होता है। अगर आप स्केल से नापें तो इसकी औसत लम्बाई 6.2 से 8.9 मिली मीटर और चौड़ाई 1. 6 से 1.9 मिली मीटर होती है। बासमती चावल के दाने अक्सर सूखे और अलग-अलग होते हैं। पकने के बाद चावल नरम हो जाते हैं लेकिन ये चिपकते और टूटते नहीं हैं।
आपको बता दें कि अगर कोई चावल की किसी वैरायटी का नाम जानता है तो वह है बासमती चावल। बासमती चावल को किचन का राजा कहा जाता है। ये अपनी अनूठी महक और स्वाद के लिए जाना जाता है। आमतौर पर हर भारतीय अपने व्यंजनों में इसका इस्तेमाल करता है। बासमती चावल खरीदते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वह जितना पुराना हो बेहतर है।