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जल है तो कल है...

जल है तो कल है। जी हां, पानी हमारे जीवन की सबसे अहम कड़ी है, क्योंकि जल के बिना पृथ्वी पर सजीव जगत की कल्पना करना नामुमकिन है। जल के बिना न सिर्फ सजीव जगत की, बल्कि इस हरी-भरी धरती की भी कल्पना नहीं की जा सकती। तभी तो कहा जाता है कि जल ही जीवन है। जल के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमारे शरीर का 70 फीसदी हिस्सा जल ही है। तभी तो कहा जाता है ...

क्षिति जल पावक, गगन समीरा

पांच तत्व से बना शरीरा

जल का महत्व इतना है, इसके बाद भी आधुनिकता की दौड़ में हम लोग आज जल का न केवल बेहिसाब इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि इसे प्रदूषित करने में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसी का परिणाम है कि आज हमें भविष्य में जल संकट की आहट सुनाई पड़ने लगी है।

हम सभी जानते हैं कि भोजन से भी कहीं अधिक हमारे जीवन में जल का महत्व है। भोजन के बिना तो हम कुछ दिनों तक जीवित रह सकते हैं, लेकिन जल के बिना जीवित रहना असंभव है। ये जल ही है जो आज हमारे चारो तरफ धरती हरियाली से लबरेज है। फसल की सिंचाई लिए जल की आवश्यकता तो है ही, जीवित रहने के लिए मनुष्य को भी रोजाना 3 से 6 लीटर पानी पीने की जरूरत होती है।

धरती पर तीन चौथाई भाग पानी है, लेकिन पीने योग्य शुद्ध पेयजल की बात करें तो वह केवल 4 प्रतिशत ही है। इसके बावजूद आधुनिक दौड़ में हम पेयजल को बचाने के बजाय दूषित कर रहे हैं। दूषित पेयजल की वजह से एक के बाद एक नई बीमारियां पनप रही हैं। अगर धरती पर जीवन को बचाना है तो जल को दूषित होने से बचाना ही पड़ेगा, पेयजल की स्टोरेज क्षमता बढ़ानी ही होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ और पेयजल दूषित होने की रफ्तार यूं ही जारी रही तो एक दिन ऐसा आएगा कि प्यारी और हरियाली वसुंधरा वीरान हो जाएगी और सारे प्राणी पानी के लिए त्राहि-त्राहि करके इस धरा को छोड़ जाएंगे।

कहा जाता है कि अब जब भी संसार में तीसरा विश्वयुद्ध होगा तो उसकी सबसे बड़ी वजह पेयजल संकट ही रहने वाला है। पेयजल आपूर्ति बरकरार रखने के लिए जल संरक्षण को बढ़ावा देना जरूरी है, इसीलिए 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है, जिसका एकमात्र उद्देश्य जल संरक्षण को लेकर पूरे विश्व में जागरूकता लाना है।

तो देखा आपने कि जल का महत्व हमारे जीवन में अनमोल है। 22 मार्च को मनाया जाने वाला “विश्व जल दिवस” जिसका मुख्य उद्देश्य पानी का संरक्षण करना है, यह महज एक दिवस के रूप में नहीं मनाया जाना चाहिए, बल्कि इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा जल संरक्षण करना होना चाहिए। इसीलिए यदि हालात इसी प्रकार चलते रहे तो तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए ही होगा।यदि हमें इससे बचना है तो प्रण लेना होगा की हम सब जल को बचाएंगे। तभी हम गर्व से कह सकेंगे “जल है तो कल है”, “जल ही जीवन है” क्योंकि हमने खुद इसे बचाने के प्रयास किया।

जल रहेगा तो हम रहेंगे

जल ही है जीवन का आधार जल बिना ना कोई संसार

पानी जो बचाएगा समझदार वो कहलाएगा

स्वच्छ जल अपनाएं अच्छी सेहत पाएं

पानी को बचाएं, पृथ्वी ग्रह को सजाएं

जल है तो जीवन है

जल को बचाओगे तो जीवन को पाओगे

जल की करो मत बर्बादी खोनी पड़ेगी आजादी

आज जल नहीं बचाओगे तो कल कहां से पाओगे


समय रहते हमें इसका संरक्षण करना होगा तो आइए जानते हैं जल संरक्षण के कुछ सरल उपाय

  1. हमें अनावश्यक कार्यों में जल का उपयोग बंद करना होगा
  2. बरसात के जल को टांके बनाकर संग्रहित करना होगा
  3. पेड़-पौधे लगाने होंगे, पेड़ों की कटाई पर रोक लगानी होगी
  4. उद्योग-धंधों के दूषित जल को नदियों में मिलाने से रोकना होगा
  5. हमें खुद की दिनचर्या में करना होगा सुधार
  6. नदियों और तालाबों में कचरा फेंकने से बचना होगा
  7. गैर जरूरी कार्यों में पानी का उपयोग बंद करना होगा
  8. हमें एक ऐसी योजना बनानी होगी जिससे सभी नदियों को जोड़ा जा सके
  9. पानी की बूंद-बूंद बचा कर ही हम जल का संरक्षण कर सकते हैं
  10. हमें प्लास्टिक का उपयोग करना होगा बंद
  11. जल संरक्षण के लिए जन-जन में फैलानी होगी जागरूकता