आपने समुद्र और तालाबों में सीप की खेती के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन रेत के तपते धोंरो में सीप की खेती, भगवान को ढूढने से कम नही है। इन सभी कठिन परिस्थियों के बावजूद राजस्थान में सीकर जिले के एक किसान पिछले कुछ सालों से मोती की खेती कर रहे हैं और इससे अच्छा लाभ कमा रहे हैं। विनोद पहले परंपरागत खेती करते थे, लेकिन राजस्थान में पानी की कमी के चलते फसलों की खेती से अच्छा मुनाफा नहीं मिल पा रहा था। तब उन्होने खेती में ही कुछ अलग करने का सोचा, उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में कार्यरत अपने एक दोस्त से संपर्क किया, उनसे बातचीत के दौरान उन्हें मोती की खेती के बारे में पता चला, इसके बाद उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से भुवनेश्वर में ट्रेनिंग ली और इसके बाद सीकर में मोती की खेती शुरू कर दी।
उन्होंने 500 सीप से मोती पालन की शुरूआत की। सीप केरल से मंगवाया, जिसकी खरीद पर प्रति सीप 20 रुपए का खर्च आया। इसके अलावा सीप में बीड डालने में 10 रुपए का खर्च आता है। इन 500 सीपों से साल में 1000 मोती मिल जाते हैं। यह 300-350 रुपए प्रति मोती के हिसाब से आसानी से बिक जाता है। जिससे उन्हें सालाना 2.5 से 3 लाख रुपए की आमदनी हो जाती है।
मोती की कई वैरायटी हैं। लेकिन इन्होंने बाजार की मांग के अनुसार डिजाइनर और हाफ राउंड मोती के उत्पादन को चुना। खेती शुरू करने के लिए पहले तालाब या नदियों से सीपों को इकट्ठा करना होता है, या इन्हें खरीदा भी जा सकता है। इसके बाद हर सीप में छोटे से ऑपरेशन के बाद इसके भीतर 4-6 मिमी डायमीटर वाले साधारण या डिज़ाइनदार बीड जैसे गणेश, बुद्ध, या किसी फूल की आकृति डाली जाती है। फिर सीप को बंद कर दिया जाता है। इस तरह 1 साल में डिजाइनर मोती और डेढ़ साल में हाफ राउंड मोती तैयार हो जाता है।
लाखों की खेती तो जतन भी लाखों के ही होंगे, जी हां, मोती की खेती करते समय तापमान और भोजन का खास ध्यान रखना पड़ता है। भोजन में इन्हे एल्गी दिया जाता है। वहीं समय-समय पर सीपों को खोलकर देखना भी पड़ता है कि सीप कहीं मर तो नहीं रहे ।
मोती उत्पादन जितना आसान दिखता है उतना है नहीं। इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। कई सारी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है जैसे- पर्ल फार्मिंग के लिए पानी कैसा हो? तापमान कितना और कैसे मेंटेन किया जाए? सीप कैसे खोलें? उसके अंदर कण, रेत या बीड कैसे डालें? सीप की माइनर सर्जरी कैसे हो? इसलिए जिन्होंने न कभी पहले ये किया, या उनके आसपास किसी ने नहीं किया वो मोती पालन से पहले ट्रेनिंग जरूर लें। और लागत-मुनाफे का गणित समझने के बाद आप इसकी शुरूआत पहले छोटे स्तर से करें। सफल होने के बाद धीरे-धीरे इस व्यवसाय को बढ़ाते रहें।